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Monday, 9 October 2017
Monday, 2 October 2017
सुहागरात में टूटी बीबी की सील, Sex Story, सेक्स कहानियाँ
हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का HeloSex.Com में बहुत बहुत
स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी
कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं
आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों
को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
मेरा नाम पुष्कर है। मैं मध्य प्रदेश में रहता हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मेरा लौड़ा भी 8 इंच का है। जो की मेरी तरहही गोरा गोरा है। मेरा लौड़ा बहुत ही तेजी से खड़ा होकर लड़कियों की चुदाई करता है। मैने अब तक कई भाभियों के साथ सेक्स करके उन्हें उसका आनन्द दिया है। भाभियों को चोदने में कुछ ज्यादा ही आता है। मैने अब तक भभियो जैसी चुदाई अपने गर्लफ्रेंड के साथ भी नहीं किया है। भाभियो को उनके घर पर चोदने में कोई डर ही नहीं रहता। गर्ल फ्रेंड को घर पर चोदने में कोई आ न जाये यही डर लगा रहता हैं। और दोस्तों जहां डर हो जाता है वहाँ सेक्स ठीक से नहीं हो पाता है। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों मेरी शादी इसी साल हुई है। मेरी दुल्हनिया विदा होकर घर आई। मम्मी ने अपनी बहू का अच्छे ढंग से स्वागत किया। बारात 12 बजे तक वापस आ गई थी। पूरा दिन मैंने सोया था। रात भर का जगा था। मुझे घर पर आते ही नींद लग गयी। मै सो गया। शाम को मैं सो रहा था। तो सभी लोग आकर मुझसे कहने लगे। सो लो बेटा आज रात फिर से जागनी पड़ेगा। सभी लोग ऐसा कहकर मजा ले रहे थे। इतना कह कर सब लोग हंस पड़े। मै तो सोच में पड़ गया आखिर बात क्या है भाई सब लोग कह कर हंस क्यों रहे है। मैंने भी कुछ नहीं बोला चुप चाप वही लेटा रहा।
रात को मैं उठा। बॉथरूम में जाकर नहाया। फ्रेश होकर मै सबके साथ खाना खाने बैठा। सभी लोग मेरी तरफ देख देख कर हँस रहे थे। मै अकेला चुप चाप बैठा खाना खाकर उठ गया। मैंने अपने रूम में ना जाकर मम्मी के रूम में जाकर सोने लगा। मम्मी डांटने लगी। मै बाहर बरामदे में सोने लगा। मम्मी ने मुझे वहाँ से भगा मेरे रूम के बाहर दरवाजे के पास ले आई। मम्मी कहने लगी तुम्हारा अंदर कोई इन्तजार कर रहा है। और तुम यहाँ वहाँ सोते फिर रहे हो। मम्मी ने मुझे डांटकर अंदर कमरे में करके दरवाजा बन्द कर दिया। मै कुछ देर तक दरवाजा खट खटाया लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। मुझे ये शादी मंजूर नहीं थी। लेकिन घरवालों के प्रेसर से मुझे ये शादी करनी पड़ी। मै और क्या कर सकता था। मैंने भी हाँ बोल के शादी कर ली।
तो मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने अभी तक लड़की भी नहीं देखी थी। जयमाल के समय मैंने एक पल के लिए देखा था। लेकिन मैंने उसे गौर से नहीं देखा था। मैंने सोचा मेकअप में तो हर कोई अच्छा लगता है। शायद ये भी उसी तरह की हो। मेरी बीबी का नाम रूचि था। बिस्तर पर बैठी मेरा इंतज़ार कर रही थी। बिल्कुल फिल्मो की तरह। मैंने उसे न देखते हुए उसके बगल में जाकर लेट गया। मैंने अपना मुह घुमा लिया। रात के करीब 11 बजे थे। कुछ देर बाद रूचि मुझसे पूंछने लगी।
रुचि- “क्या बात है। आप मुझसे बोल क्यों नहीं रहे”
मैं- “चुप चाप लेट जाओ। मुझे कोई बात नहीं करनी”
रूचि- “मै अगर तुमको नहीं पसंद थी। तो शादी ही क्यों की मुझसे। तुम्हे ना बोल देना चाहिए था”
मै- “मुझे बोलने ही किसने दिया। किसी ने मेरी मर्जी भी नहीं पूँछी। मै क्या चाहता हूँ। बस यही बात बोल रहे थे सब। लड़की बहुत अच्छी है”
रुचि- “हाँ वो तो मै हूँ ही”
इतना कह कर रूचि भी मेरे बगल में लेट गयी। मै चुपचाप लेटा रहा। रूचि कुछ देर बाद सो गई। मैंने अपना मुँह उसकी तरफ किया। रुचि तो वास्तव में बहुत ही सुंदर लग रही थी। मैंने जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नहीं था। रुचि का फेसकटिंग बहुत ही जबरदस्त थी। रूचि की नाक और उस पर पहनी नथ बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैने उसको बहुत ही गौर से देखा। रूचि की चूंचियां ब्लाउज में उभरी उभरी लग रही थी। वो प्यारी और सुंदर दिख रही थी। मुझे रुचि को देख कर प्यार आने लगा। रूचि की चूंचियो को मैंने छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। मैंने धीऱे से उसकी चूंची को दबाया। रूचि की चूंचिया बहुत ही सॉफ्ट थी। वो शादी के जोड़े में बहुत ही अच्छी लग रही थी। मै रूचि से चिपक कर करीब जाकर उसे देखने लगा। उसकी आँख कुछ देर बाद खुली तो मुझे खुद को देखते हुए बहुत ही खुश हो रही थी। मैं कुछ न बोल कर सिर्फ उसे देखता रहा। उसने मुझे देखता देख कर कहा- “क्या बात है अब बड़ा प्यार आ रहा है”
मै- “हाँ आ तो रहा है”
मैंने भी बात बनाई। मैंने कहा- “अब तो जिंदगी साथ गुजारनी है तुम्हारे साथ तो प्यार तो करना ही पडेगा। मैं इतना कह कर चुप चाप हो गया। रूचि भी मुझे देखने लगी। देखते ही देखते सुहागरात का माहौल बनने लगा। हम एक दूसरे की तरफ देखने लगे। मैं थोड़ा सा रूचि की तरफ खिसक कर चला गया। पूरा कमरा खूब अच्छे से सजाया गया था। बिस्तर पर गुलाब के फूल बिखरे पड़े थे। मुझे ये सब देख कर बहुत अच्छा लग रगा था। मुझे तो उसी पल प्यार हो गया जैसे ही मैंने उसे देखा था। मैंने रूचि को अपने सामने कर लिया और देखता रहा।
मैंने अपनी बीबी को बाहों में भर लिया। इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसे सॉरी बोल दिया। रूचि का खुला मुह तुरंत बंद हो गया।
रुचि- “सच में आप मुझे प्यार करने लगे हो”
मै- “लेकिन मुझे नहीं पता था। मेरे घरवालों मेरे लिए तेरी जैसी लड़की से मेरी शादी कर देंगे। मैंने तुम्हे पहले देखा होता तो शायद इतना कुछ हुआ ही ना होता” इतना कह कर मैंने उसे कस कर दबा लिया। उसने भी मुझे देख कर चिपक कर दबा लिया। उसका चिपकना बता रहा था उसने मुझे माफ़ कर दिया। मैंने अब तक उसे ना देखा होता तो शायद उसकी पहली रात यानि सुहागरात का कोई आनंद न ले पाता। उसका चेहरा अपने सामने करके उसके होंठो को देखने लगा। क्या मस्त लग रही थी। मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। मै किस करने को बेचैन होने लगा। उसने अपनी आँखे बंद कर ली। उसकी आँखों का काजल बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसके होंठ पर लगी लिप्स्टिक बहुत ही जबरदस्त लग रही थी।
मैंने उसके होंठो को देखा। लिप्स्टिक के साथ साथ रूचि के होंठो पर लगा लिप लाइनर बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे ही उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया। चूमने में बहुत ही अच्छा लग रहा था। चूमते ही उसके होंठ की कुछ लिप्स्टिक मेरे होंठ पर भी लग गई। मैं चूसने लगा। रूचि मेरा गला पकड़ कर अपने होंठो को चुसा रही थी। मैने चूस चूस कर सारी लिपस्टिक छुडा दी। मैंने उसे अच्छे से किस करना सीखा दिया। किस करने से लग रहा था कि रूचि अभी तक इन सबसे अनजान थी। वो अपनी आँखे बंद करके मुझे किस कर रही थी। बहुत ही चुदासी होने लगी। रूचि की गर्म गर्म साँसे बहुत ही जोश दिला रही थीं। उसकी साँसों को महसूस करके मैंने रुचि की तरफ देखा। उसने शर्म के मारे अपनी आँखे झुका ली। मैंने उसकी आँखों में शर्म देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था। वो मुझे देखकर हँसने लगी.
मैंने रूचि से पूंछा क्यों हँस रही हो। वह मेरे होंठ पर लगी लिप्स्टिक को देखकर हँस रही थी। उसको हंसता देख कर लगरहा था कोई परी आ गई हो नीचे। उसकी हंसी बहुत ही किलर लग रही थी। उसकी चूंचियो की तरफ देखकर अपने हाथों से पकड़ लिया। वह अब भी शरमा रही थी। मैंने हाथों में लेकर खेलने लगा। उसके बूब्स बहुत ही मुलायम लग रहे थे। उसकी चूंची को मैंने देखने के लिए ब्लाउज को निकाल दिया। उसकी ब्लाउज का हुक खोलते ही उसकी ब्रा दिखने लगीं। लाल रंग की ब्लाउज के नीचे लाल रंग का ब्रा बहुत ही रोमांचक लग रहा था। उसकी ब्लाउज को निकाल कर बिस्तर पर रख दिया। रूचि तो बहुत ही हॉट लगने लगी। उसके हॉट सेक्सी रूप को देख कर मेरा लौड़ा बेकाबू होता जा रहा था। उसकी चूंचियो को ब्रा ने कस कर दबा रखा था। उसकी चूंचियो को मैंने ब्रा से आजाद करने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। उसकी चूंचियो के ऊपर ब्रा की पट्टियां गोरे बदन पर बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैंने उसकी ब्रा की पट्टियो पर हाथ चलाकर पीछे से रूचि की ब्रा का हुक खोलकर उसकी ब्रा को निकाल दिया। उसकी ब्रा को निकालते ही उसकी गोरी गोरी चूंचियां दिखने लगी। दोनों चूंचियां जैसे किसी गाडी के हेडलाइट लग रहे थे। गोरी चूंचियों पर काले कलर का निप्पल बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी हेडलाइट को दबा दिया।
मैंने रूचि के निप्पल को अपने मुह में भर लिया। वह सुसुक सुसुक कर “आई….आई.. .आई….अहह्ह्ह्हह. ..सी सी सी सी…हा हा हा…” करने लगी। मै जब भी उसकी चूंचियो को पीता था वह सिसकने लगती। बहुत मजा आ रहा था। रूचि पिलाने में आनंद ले रही थी। काफी देर तक पीने के बाद मैंने उसकी साडी निकालने के लिए उसको खड़ा कर दिया। वह खड़ी हो गई। मैंने उसकी साडी को निकाल दिया। उसको सिर्फ पेटीकोट में कर दिया। उसे पेटीकोट में देखना अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने रूचि की पेटीकोट को भी निकाल दिया। वो अब अपने सारे गहने को निकालने लगी। तब तक मैं उसकी गांड़ को पैंटी के ऊपर से ही सहला रहा था। उसने बिस्तर के बगल टेबल पर अपने गहने रख दिये। मैंउसे चोदने को बेकरार होने लगा। उसकी हेडलाइट दबाने जे बाद मेरे अंदर करंट दौड़ने लगा।
मैंने भी अपना पैंट निकाला। मेरे पैंट को निकलते ही मेरा लौड़ा कच्छा फाड कर बाहर आने को तैयार था। वो मेरे लौड़े का क्रिया कलाप देख कर डर रही थी। उसको मैंने लौंडा दिखाने के लिए अपना कच्छा निकाला। निकलते ही मेरा लौड़ा खड़ा होकर उसके सामने प्रस्तुत हो गया। उसने लौड़ा बहुत ही गौर से देखना शुरू किया। मैंने हाथों में पकड़ा दिया। उसने डरते हुये पकड़ लिया। मैंने उसका डर छुड़ाते हुए अपना हाथ उसकी हाथ पर रख कर अपना लौड़ा आगे पीछे करवाने लगा। उसका डर ख़त्म हुआ।
उसने मुठ मार मार कर मेरा लौड़ा बड़ा कर मोटा कर दिया। मैंने रुचि को लौड़ा चूसने को कहा। उसने चूसने से मना कर दिया। मैंने उसको बिस्तर पर लिटाकर उसकी पैंटी को निकाला। मैंने उसे अपने नाक में लगा कर सूंघा। उसकी पैंटी से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देखने को मैं बेकरार था। उसकी दोनों टांगों को फैला दिया। टांगोंके बीच में छुपी चूत दिखने लगी। उसकी चूत पर बहुत गजब की चमक थी। देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। उसने एक दो दिन में ही अपनी चूत के बालों को हटाया था। मुझे साफ़ चिकनी चूत को देख कर मुह में पानी आ जाता है। मैंने तुरंत ही उसकी चूत में अपना मुह लगा कर चाटने लगा। मुझे चाटने में बहुत ही मजा आ रहा था। मैने उसकी चूत के दोनों टुकड़ो के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चाटने लगा। मेरे ऐसा करने पर रूचि की चूत ने अपना गर्म गर्म ताजा माल निकाल दी। मैंने उसके चूत के रस का रसपान किया। बहुत ही मीठा स्वाद लग रहा था। मैंने साऱा माल चाट लिया। मै उसकी चूत के दाने को पकड़ कर खींच कर अपने दांतों से काट कर चूस रहा था।
रूचि मेरा सर पकड़ कर दबा देती और“ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्हआआआअह्हह्हह… अई…अई….अ… उ उ उ उ उ..” की आवाज निकाल रही थी। वह चुदवाने को तड़प रही थी। उसकी तड़प मुझसे देखी नहीं गई। मैंने अपना लौड़ा उसके चूत के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। उसकी चूत गर्म होकर लाल हो गई। उसकी छेद में अपना लौड़ा डालने को मैं भी बेकरार होने लगा। रूचि की चूत में अपना लौड़ा घुसाने की कोशिश करने लगा। मेऱा लंड उसकी चूत में घुस ही नहीं रहा था। मैंने बहुत धक्का मारा लेकिन हर बार मेरा लंड बाहर आ जाता था। मैंने गुस्से में आकर खूब तेज धक्का मारा। मेरे लौडा टोपा सहित थोड़ा सा अंदर घुस गया। रूचि जोर से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हाहा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ. .ऊँ…उनहूँ उनहूँ…”की चीख निकालने लगी। मैंने सोचा यही दर्द पर और दर्द दे दूं नहीं तो बाद में और चिल्लयेगी। मैंने अपना लौड़ा धक्का मार कर पूरा अंदर कर दिया।
उसके दर्द के कारण मैं धीऱे धीऱे चुदाई करने लगा। उसने चिल्ला चिल्ला कर पूरा कमरा भर दिया। हर तरफ बस उसी की आवाज गूँज रही थी। कुछ देर बाद उसे उसकी चूत के दर्द से छुटकारा मिल रहा था। मैंने लौड़े पर कुछ गीला गीला लगा महसूस किया। मैंने उसकी चूत से लौड़ा निकाला। पूरा लाल लाल हो गया था। उसकी सील टूटने से निकला खून मेरे लौड़े को रंग दिया। सारा खून बिस्तर पर लगता उससे पहले मैंने पास में रखे पेपर को रूचि की चूत के नीचे लगा दिया। उसको मैंने बिस्तर से नीचे उतार कर टेबल के सहारे खड़ा किया। रूचि टेबल पकडे खड़ी थी। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया, उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल कर जोर जोर से चुदाई करने लगा। वह भी“ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ …ऊँ… ऊँ… ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा… ओ हो हो…” की आवाज के साथ चुदवा रही थी।
मैंने उसको टेबल पर लिटा कर उसकी कमर को पकड़ कर जबरदस्त चुदाई करने लगा। उसकी तेज चुदाई से मेरा लौड़ा जल्दी ही स्खलित होने वाला हो गया। मैंने अपना लौड़ा रूचि की चूत से बाहर निकाल कर उसकी चूत पर ही झड़ दिया। हमने एक दूसरे को साफ किया। दोनो लोग खूब थक गए थे। हम लोग नंगे ही लेटे रहे। मैंने कुछ देर बाद उठ कर एक बार फिर से चुदाई की। उसके बाद मैंने उसकी गांड़ मारी। हम दोनों रात भर खूब चुदाई करते हैं। कहानी आपको कैसे लगी,
मेरा नाम पुष्कर है। मैं मध्य प्रदेश में रहता हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मेरा लौड़ा भी 8 इंच का है। जो की मेरी तरहही गोरा गोरा है। मेरा लौड़ा बहुत ही तेजी से खड़ा होकर लड़कियों की चुदाई करता है। मैने अब तक कई भाभियों के साथ सेक्स करके उन्हें उसका आनन्द दिया है। भाभियों को चोदने में कुछ ज्यादा ही आता है। मैने अब तक भभियो जैसी चुदाई अपने गर्लफ्रेंड के साथ भी नहीं किया है। भाभियो को उनके घर पर चोदने में कोई डर ही नहीं रहता। गर्ल फ्रेंड को घर पर चोदने में कोई आ न जाये यही डर लगा रहता हैं। और दोस्तों जहां डर हो जाता है वहाँ सेक्स ठीक से नहीं हो पाता है। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों मेरी शादी इसी साल हुई है। मेरी दुल्हनिया विदा होकर घर आई। मम्मी ने अपनी बहू का अच्छे ढंग से स्वागत किया। बारात 12 बजे तक वापस आ गई थी। पूरा दिन मैंने सोया था। रात भर का जगा था। मुझे घर पर आते ही नींद लग गयी। मै सो गया। शाम को मैं सो रहा था। तो सभी लोग आकर मुझसे कहने लगे। सो लो बेटा आज रात फिर से जागनी पड़ेगा। सभी लोग ऐसा कहकर मजा ले रहे थे। इतना कह कर सब लोग हंस पड़े। मै तो सोच में पड़ गया आखिर बात क्या है भाई सब लोग कह कर हंस क्यों रहे है। मैंने भी कुछ नहीं बोला चुप चाप वही लेटा रहा।
रात को मैं उठा। बॉथरूम में जाकर नहाया। फ्रेश होकर मै सबके साथ खाना खाने बैठा। सभी लोग मेरी तरफ देख देख कर हँस रहे थे। मै अकेला चुप चाप बैठा खाना खाकर उठ गया। मैंने अपने रूम में ना जाकर मम्मी के रूम में जाकर सोने लगा। मम्मी डांटने लगी। मै बाहर बरामदे में सोने लगा। मम्मी ने मुझे वहाँ से भगा मेरे रूम के बाहर दरवाजे के पास ले आई। मम्मी कहने लगी तुम्हारा अंदर कोई इन्तजार कर रहा है। और तुम यहाँ वहाँ सोते फिर रहे हो। मम्मी ने मुझे डांटकर अंदर कमरे में करके दरवाजा बन्द कर दिया। मै कुछ देर तक दरवाजा खट खटाया लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। मुझे ये शादी मंजूर नहीं थी। लेकिन घरवालों के प्रेसर से मुझे ये शादी करनी पड़ी। मै और क्या कर सकता था। मैंने भी हाँ बोल के शादी कर ली।
तो मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने अभी तक लड़की भी नहीं देखी थी। जयमाल के समय मैंने एक पल के लिए देखा था। लेकिन मैंने उसे गौर से नहीं देखा था। मैंने सोचा मेकअप में तो हर कोई अच्छा लगता है। शायद ये भी उसी तरह की हो। मेरी बीबी का नाम रूचि था। बिस्तर पर बैठी मेरा इंतज़ार कर रही थी। बिल्कुल फिल्मो की तरह। मैंने उसे न देखते हुए उसके बगल में जाकर लेट गया। मैंने अपना मुह घुमा लिया। रात के करीब 11 बजे थे। कुछ देर बाद रूचि मुझसे पूंछने लगी।
रुचि- “क्या बात है। आप मुझसे बोल क्यों नहीं रहे”
मैं- “चुप चाप लेट जाओ। मुझे कोई बात नहीं करनी”
रूचि- “मै अगर तुमको नहीं पसंद थी। तो शादी ही क्यों की मुझसे। तुम्हे ना बोल देना चाहिए था”
मै- “मुझे बोलने ही किसने दिया। किसी ने मेरी मर्जी भी नहीं पूँछी। मै क्या चाहता हूँ। बस यही बात बोल रहे थे सब। लड़की बहुत अच्छी है”
रुचि- “हाँ वो तो मै हूँ ही”
इतना कह कर रूचि भी मेरे बगल में लेट गयी। मै चुपचाप लेटा रहा। रूचि कुछ देर बाद सो गई। मैंने अपना मुँह उसकी तरफ किया। रुचि तो वास्तव में बहुत ही सुंदर लग रही थी। मैंने जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नहीं था। रुचि का फेसकटिंग बहुत ही जबरदस्त थी। रूचि की नाक और उस पर पहनी नथ बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैने उसको बहुत ही गौर से देखा। रूचि की चूंचियां ब्लाउज में उभरी उभरी लग रही थी। वो प्यारी और सुंदर दिख रही थी। मुझे रुचि को देख कर प्यार आने लगा। रूचि की चूंचियो को मैंने छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। मैंने धीऱे से उसकी चूंची को दबाया। रूचि की चूंचिया बहुत ही सॉफ्ट थी। वो शादी के जोड़े में बहुत ही अच्छी लग रही थी। मै रूचि से चिपक कर करीब जाकर उसे देखने लगा। उसकी आँख कुछ देर बाद खुली तो मुझे खुद को देखते हुए बहुत ही खुश हो रही थी। मैं कुछ न बोल कर सिर्फ उसे देखता रहा। उसने मुझे देखता देख कर कहा- “क्या बात है अब बड़ा प्यार आ रहा है”
मै- “हाँ आ तो रहा है”
मैंने भी बात बनाई। मैंने कहा- “अब तो जिंदगी साथ गुजारनी है तुम्हारे साथ तो प्यार तो करना ही पडेगा। मैं इतना कह कर चुप चाप हो गया। रूचि भी मुझे देखने लगी। देखते ही देखते सुहागरात का माहौल बनने लगा। हम एक दूसरे की तरफ देखने लगे। मैं थोड़ा सा रूचि की तरफ खिसक कर चला गया। पूरा कमरा खूब अच्छे से सजाया गया था। बिस्तर पर गुलाब के फूल बिखरे पड़े थे। मुझे ये सब देख कर बहुत अच्छा लग रगा था। मुझे तो उसी पल प्यार हो गया जैसे ही मैंने उसे देखा था। मैंने रूचि को अपने सामने कर लिया और देखता रहा।
मैंने अपनी बीबी को बाहों में भर लिया। इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसे सॉरी बोल दिया। रूचि का खुला मुह तुरंत बंद हो गया।
रुचि- “सच में आप मुझे प्यार करने लगे हो”
मै- “लेकिन मुझे नहीं पता था। मेरे घरवालों मेरे लिए तेरी जैसी लड़की से मेरी शादी कर देंगे। मैंने तुम्हे पहले देखा होता तो शायद इतना कुछ हुआ ही ना होता” इतना कह कर मैंने उसे कस कर दबा लिया। उसने भी मुझे देख कर चिपक कर दबा लिया। उसका चिपकना बता रहा था उसने मुझे माफ़ कर दिया। मैंने अब तक उसे ना देखा होता तो शायद उसकी पहली रात यानि सुहागरात का कोई आनंद न ले पाता। उसका चेहरा अपने सामने करके उसके होंठो को देखने लगा। क्या मस्त लग रही थी। मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। मै किस करने को बेचैन होने लगा। उसने अपनी आँखे बंद कर ली। उसकी आँखों का काजल बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसके होंठ पर लगी लिप्स्टिक बहुत ही जबरदस्त लग रही थी।
मैंने उसके होंठो को देखा। लिप्स्टिक के साथ साथ रूचि के होंठो पर लगा लिप लाइनर बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे ही उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया। चूमने में बहुत ही अच्छा लग रहा था। चूमते ही उसके होंठ की कुछ लिप्स्टिक मेरे होंठ पर भी लग गई। मैं चूसने लगा। रूचि मेरा गला पकड़ कर अपने होंठो को चुसा रही थी। मैने चूस चूस कर सारी लिपस्टिक छुडा दी। मैंने उसे अच्छे से किस करना सीखा दिया। किस करने से लग रहा था कि रूचि अभी तक इन सबसे अनजान थी। वो अपनी आँखे बंद करके मुझे किस कर रही थी। बहुत ही चुदासी होने लगी। रूचि की गर्म गर्म साँसे बहुत ही जोश दिला रही थीं। उसकी साँसों को महसूस करके मैंने रुचि की तरफ देखा। उसने शर्म के मारे अपनी आँखे झुका ली। मैंने उसकी आँखों में शर्म देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था। वो मुझे देखकर हँसने लगी.
मैंने रूचि से पूंछा क्यों हँस रही हो। वह मेरे होंठ पर लगी लिप्स्टिक को देखकर हँस रही थी। उसको हंसता देख कर लगरहा था कोई परी आ गई हो नीचे। उसकी हंसी बहुत ही किलर लग रही थी। उसकी चूंचियो की तरफ देखकर अपने हाथों से पकड़ लिया। वह अब भी शरमा रही थी। मैंने हाथों में लेकर खेलने लगा। उसके बूब्स बहुत ही मुलायम लग रहे थे। उसकी चूंची को मैंने देखने के लिए ब्लाउज को निकाल दिया। उसकी ब्लाउज का हुक खोलते ही उसकी ब्रा दिखने लगीं। लाल रंग की ब्लाउज के नीचे लाल रंग का ब्रा बहुत ही रोमांचक लग रहा था। उसकी ब्लाउज को निकाल कर बिस्तर पर रख दिया। रूचि तो बहुत ही हॉट लगने लगी। उसके हॉट सेक्सी रूप को देख कर मेरा लौड़ा बेकाबू होता जा रहा था। उसकी चूंचियो को ब्रा ने कस कर दबा रखा था। उसकी चूंचियो को मैंने ब्रा से आजाद करने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। उसकी चूंचियो के ऊपर ब्रा की पट्टियां गोरे बदन पर बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैंने उसकी ब्रा की पट्टियो पर हाथ चलाकर पीछे से रूचि की ब्रा का हुक खोलकर उसकी ब्रा को निकाल दिया। उसकी ब्रा को निकालते ही उसकी गोरी गोरी चूंचियां दिखने लगी। दोनों चूंचियां जैसे किसी गाडी के हेडलाइट लग रहे थे। गोरी चूंचियों पर काले कलर का निप्पल बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी हेडलाइट को दबा दिया।
मैंने रूचि के निप्पल को अपने मुह में भर लिया। वह सुसुक सुसुक कर “आई….आई.. .आई….अहह्ह्ह्हह. ..सी सी सी सी…हा हा हा…” करने लगी। मै जब भी उसकी चूंचियो को पीता था वह सिसकने लगती। बहुत मजा आ रहा था। रूचि पिलाने में आनंद ले रही थी। काफी देर तक पीने के बाद मैंने उसकी साडी निकालने के लिए उसको खड़ा कर दिया। वह खड़ी हो गई। मैंने उसकी साडी को निकाल दिया। उसको सिर्फ पेटीकोट में कर दिया। उसे पेटीकोट में देखना अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने रूचि की पेटीकोट को भी निकाल दिया। वो अब अपने सारे गहने को निकालने लगी। तब तक मैं उसकी गांड़ को पैंटी के ऊपर से ही सहला रहा था। उसने बिस्तर के बगल टेबल पर अपने गहने रख दिये। मैंउसे चोदने को बेकरार होने लगा। उसकी हेडलाइट दबाने जे बाद मेरे अंदर करंट दौड़ने लगा।
मैंने भी अपना पैंट निकाला। मेरे पैंट को निकलते ही मेरा लौड़ा कच्छा फाड कर बाहर आने को तैयार था। वो मेरे लौड़े का क्रिया कलाप देख कर डर रही थी। उसको मैंने लौंडा दिखाने के लिए अपना कच्छा निकाला। निकलते ही मेरा लौड़ा खड़ा होकर उसके सामने प्रस्तुत हो गया। उसने लौड़ा बहुत ही गौर से देखना शुरू किया। मैंने हाथों में पकड़ा दिया। उसने डरते हुये पकड़ लिया। मैंने उसका डर छुड़ाते हुए अपना हाथ उसकी हाथ पर रख कर अपना लौड़ा आगे पीछे करवाने लगा। उसका डर ख़त्म हुआ।
उसने मुठ मार मार कर मेरा लौड़ा बड़ा कर मोटा कर दिया। मैंने रुचि को लौड़ा चूसने को कहा। उसने चूसने से मना कर दिया। मैंने उसको बिस्तर पर लिटाकर उसकी पैंटी को निकाला। मैंने उसे अपने नाक में लगा कर सूंघा। उसकी पैंटी से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देखने को मैं बेकरार था। उसकी दोनों टांगों को फैला दिया। टांगोंके बीच में छुपी चूत दिखने लगी। उसकी चूत पर बहुत गजब की चमक थी। देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। उसने एक दो दिन में ही अपनी चूत के बालों को हटाया था। मुझे साफ़ चिकनी चूत को देख कर मुह में पानी आ जाता है। मैंने तुरंत ही उसकी चूत में अपना मुह लगा कर चाटने लगा। मुझे चाटने में बहुत ही मजा आ रहा था। मैने उसकी चूत के दोनों टुकड़ो के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चाटने लगा। मेरे ऐसा करने पर रूचि की चूत ने अपना गर्म गर्म ताजा माल निकाल दी। मैंने उसके चूत के रस का रसपान किया। बहुत ही मीठा स्वाद लग रहा था। मैंने साऱा माल चाट लिया। मै उसकी चूत के दाने को पकड़ कर खींच कर अपने दांतों से काट कर चूस रहा था।
रूचि मेरा सर पकड़ कर दबा देती और“ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्हआआआअह्हह्हह… अई…अई….अ… उ उ उ उ उ..” की आवाज निकाल रही थी। वह चुदवाने को तड़प रही थी। उसकी तड़प मुझसे देखी नहीं गई। मैंने अपना लौड़ा उसके चूत के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। उसकी चूत गर्म होकर लाल हो गई। उसकी छेद में अपना लौड़ा डालने को मैं भी बेकरार होने लगा। रूचि की चूत में अपना लौड़ा घुसाने की कोशिश करने लगा। मेऱा लंड उसकी चूत में घुस ही नहीं रहा था। मैंने बहुत धक्का मारा लेकिन हर बार मेरा लंड बाहर आ जाता था। मैंने गुस्से में आकर खूब तेज धक्का मारा। मेरे लौडा टोपा सहित थोड़ा सा अंदर घुस गया। रूचि जोर से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हाहा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ. .ऊँ…उनहूँ उनहूँ…”की चीख निकालने लगी। मैंने सोचा यही दर्द पर और दर्द दे दूं नहीं तो बाद में और चिल्लयेगी। मैंने अपना लौड़ा धक्का मार कर पूरा अंदर कर दिया।
उसके दर्द के कारण मैं धीऱे धीऱे चुदाई करने लगा। उसने चिल्ला चिल्ला कर पूरा कमरा भर दिया। हर तरफ बस उसी की आवाज गूँज रही थी। कुछ देर बाद उसे उसकी चूत के दर्द से छुटकारा मिल रहा था। मैंने लौड़े पर कुछ गीला गीला लगा महसूस किया। मैंने उसकी चूत से लौड़ा निकाला। पूरा लाल लाल हो गया था। उसकी सील टूटने से निकला खून मेरे लौड़े को रंग दिया। सारा खून बिस्तर पर लगता उससे पहले मैंने पास में रखे पेपर को रूचि की चूत के नीचे लगा दिया। उसको मैंने बिस्तर से नीचे उतार कर टेबल के सहारे खड़ा किया। रूचि टेबल पकडे खड़ी थी। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया, उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल कर जोर जोर से चुदाई करने लगा। वह भी“ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ …ऊँ… ऊँ… ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा… ओ हो हो…” की आवाज के साथ चुदवा रही थी।
मैंने उसको टेबल पर लिटा कर उसकी कमर को पकड़ कर जबरदस्त चुदाई करने लगा। उसकी तेज चुदाई से मेरा लौड़ा जल्दी ही स्खलित होने वाला हो गया। मैंने अपना लौड़ा रूचि की चूत से बाहर निकाल कर उसकी चूत पर ही झड़ दिया। हमने एक दूसरे को साफ किया। दोनो लोग खूब थक गए थे। हम लोग नंगे ही लेटे रहे। मैंने कुछ देर बाद उठ कर एक बार फिर से चुदाई की। उसके बाद मैंने उसकी गांड़ मारी। हम दोनों रात भर खूब चुदाई करते हैं। कहानी आपको कैसे लगी,
Sunday, 1 October 2017
बारिश में मिला चुदाई का आनंद, Sex Story, सेक्स कहानियाँ
हेलो दोस्तों मैं आप सभी का HeloSex.Com में बहुत बहुत स्वागत
करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई
रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी
कहानी सूना रही थी। आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी।
मेरा नाम रिया है। मैं बनारस में रहती हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है। मैं देखने में बहुत ही हॉट और सेक्सीलगती हूँ। मेरे मम्मे बहुत ही रोमांचक है। लड़के मेरे मम्मो को देखते ही अपना लंड खड़ा कर लेते हैं। मुझे भी अपने मम्मो को चुसाना बहुत अच्छा लगता है। मैं खुद भी अकेले में अपने मम्मो को चूसती हूँ। मैने अपनी सील खुद ही तोड़ी है। अभी तक मैंने किसी लड़के से नहीं चुदवाया था। अब तक मैं ब्लू फिल्म देख देख कर मुठ मार लेती थी। रात में मै किचन से बैगन ले आती थी। बैगन ना हो तो मूली गाजर और कई लंबी सब्जियां ले आती थी। रात में सब्जियों को अपनी चूत में डालकर लंड का एहसास करती थी। कई बार तो मैंने अपने चूत में सब्जियों को डालकर ही सो जाती। सुबह जब उठती तो निकालती थी। मुझे सेक्सकरने का बहुत ही मन कर रहा था। सब्जियां से बहुत काम चला लिया। अब तो बस लंड खाने को मन कर रहा था। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
मेरे पापा की कई टैक्सियां हैं। उसी से हमारे घर किसी तरह से पैसा आता है। बाकी कमाई का कोई रास्तानहीं है। मेरा एक भाई है जो अभी छोटा है। पापा अकेले ही पूरा घर सँभालते है। मेरी कोई बहन नहीं है। मम्मी घर पर ही रहती है। दादा दादी जी जब मैं छोटी थी तभी गुजर गए थे। मैंने M.A फ़ाइनल कर लिया है। अब मैं पूरा दिन घर पर ही रहती थी। मेरे कॉलेज के लड़के मुझ पर मरते थे। लेकिन मुझे कोई पसंद ही नहीं आता था। कोई भी लड़का स्मार्ट ही नहीं था। किसी की हाइट छोटी, तो कोई काला। इसी वजह से मेरी किसी लड़के से दोस्ती नहीं हुई। और अब तक मैं चुदने के मामले में कुवांरी रह गई। मै चुदने को बेकरार हो रही थी। मैं हर रोज ब्लू फिल्म देखकर सब्जियों और अँगुलियों से काम चला रही थी। आखिर एक दिन आ ही गया जब मुझे चुदाई का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
एक दिन की बात है। मेरे मोहल्ले का एक लड़का था जो काफी सीधा बनता था। कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखता था। मुझे वो बहुत पसंद था। मेरा घर उसके घर से लगभग 150 मीटर दूर था। मेरे मामा के यहाँ कोई पार्टी थी। तो मम्मी और मेरा भाई मामा के यहां चले गए थे। मै और पापा घर पर ही थे। पापा भी कुछ देर बाद अपने काम पर चले गए। अब मैं अकेली ही घर पर थी। मैं ब्लू फिल्म देख रही थी। पापा के जाने के 2 घंटे बाद बहुत तेज बारिश होने लगी। मै घर पर बरामदे में बैठी थी। अचानक मैंने अपने मोहल्ले वाले लड़के को गेट के पास पेड़ के नीचे खड़े देखा। उसका नाम अभय था। वो पहले मेरे ही साथ पढ़ता था।
मैंने आवाज दी- “अभय अंदर आ जाओ। बहुत तेज बारिश हो रही है”। अभय गेट खोलकर अंदर आ गया।
अभय- “थैंक यू’
मै-“थैंक यू क्यों? तुम मेरे दोस्त थे। अब भी दोस्त हो। इसमें थैंक यू का कोई काम नहीं। अभय मुझे घूर रहा था
मै-“क्या देख रहे हो अभय”
अभय-“तुम्हे देख रहा था। तुम कितना बदल गई हो। पहले तो तुम ऐसी नहीं थी”।
मै-“तुम्हे कैसे पता। तुम तो कभी किसी की तरफ देखते ही नहीं थे”।
अभय-“मैं तो तुम्हे पहले से ही देखता था”
मै-” झूंठ बोल रहे हो। तुम मुझे ही क्यों देखते थे। और भी लडकियां थी। उन्हें भी तुम देखते रहे होंगे”
अभय- “झूठ नहीं बोल रहा। मै सिर्फ तुम्हे ही देखता था”
मै- “मुझे ही क्यों देखते थे”
अभय- फ़िल्मी डायलॉग में बोलने लगा “पता नहीं क्यों जबसे तुमको देखा। पता नहीं कैसा लगा। लेकिन जब भी मैं तुम्हे नहीं देखता। तो मुझे उस दिन अजीब लगता था। मै अब भी तुमको देखता हूँ” मैंने कहा- ऐसा क्यूँ। अभय ने पता नहीं। मै चुपचाप बैठी थी। अभय ने कहा- तुम किसी से प्यार करती हो। मैंने कहा- हाँ। अभय- किससे?? मैंने कहा- बता दूं। अभय का चेहरा लाल पीला हो रहा था। मैंने कहा- तुमसे। अभय की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
अभय ने कहा- तो पहले क्यों नहीं बोल दिया। मैंने कहा- कभी देखते भी थे तुम मेरी तरफ। अभय और मै दोनों लोग पास पास सटकर कुछ देर बाद बैठ गए। अभय ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। कहने लगा- जो मैं आज तक नहीं बोला किसी से वो मै आज तुमसे बोलता हूँ। फिर अभय ने बोला- आई लव यू। मै भीख़ुशी से अभय को बाहों में भरकर लव यू टू बोलने लगी। अभय ने मुझे चूम लिया। मै मन ही मन खुश हो गई। मैंने भी अभय को चूम लिया। अभय ने फिर से मुझे हँसते हुए चूमा। मैंने भी अभय को फिर से चूमा। इस तरह से हम दोनों ने शुरूवात की। अभय शरमा रहा था। लेकिन मुझे चुदाई के लिए बेचैनी होने लगी। मै अभय की गोद में बैठ गई। अभय मुझे कस के पकड़ लिया। अभय मेरे गले को चूम रहा था। मैं गरम होंने लगी। बारिश खूब तेज हो रही थी।
किसी के आने का कोई डर नहीं था। हम दोनों बरामदे में ही चुम्मा चाटी कर रहे थे। अभय ने मेरे होंठो पर अपना होंठ रख कर चूमने लगा। मै भी अभय का साथ दे रही थी। अभय मेरी होंठ को काट काट कर चूस रहा था। अभय को मैने भी पकड़ लिया। अभय ने तुरंत अपना हाथ मेरी कमर से हटा कर। मेरी दोनों कानो कों पकड कर दबा दिया। मेरे होंठ को अपने होंठो से चिपका कर जोर जोर से मेरे होंठ चूसने लगा। मेरा होंठ चूसते चूसते काला हो गया। मै भी अभय की होंठ कों जोर जोर से चूस रही थी। अभय ने मेरी होंठ का रस निचोड़ निचोड़ कर पी रहा था। मेरे गुलाब जैसे होंठो को रसगुल्ले की तरह काला कर दिया। मुझे पहली बार किसी के चूमने का एहसास हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उस दिन हाफ लोवर औऱ टी शर्ट पहन रखी थी। अभय मेरे मम्मो को घूर रहा था। उसे मेरे मम्मो को छूने से डर लग रहा था। कुछ देर बाद बड़ी हिम्मत करके मेरे बूब्स पर हाथ रख दिया।
किस करते करते अभय की हिम्मत बढ़ रही थी। मैंने कहा कुछ भी करो आज से मै तेरी हो गई। अभय अब मेरे होंठ को चूसते चूसते मेरे बूब्स भी दबाने लगा। मै अपने बूब्स दबवा रही थी। लेकिन मेरे पडोसी के घर का कोई ना देख ले हमे इसीलिए मैं अभय के साथ अपने रूम में चली आयी। अभय ने फिर वही कार्यक्रम जारी रखा। मैंने उसके तने लंड पर अपना हाथ रख दिया। वो समझ गया मै चुदवाने को बेकरार हूँ। मैं चुदवाना चाहती हूँ। उसने मेरी टी शर्ट निकाल दी। मेरी सफ़ेद रंग की ब्रा में मेरी चूंचियां बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। अभय मेरे बूब्स को दबा रहा था। आज पहली बार कोई दूसरा मेरे बूब्स को दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। अभय ने अपने दोनों हाथों में मेरे चुच्चो को लेकर खेलने लगा।
मेरे दोनो चुच्चो को दबा दबा कर उसका भरता लगा रहा था। अभय ने मेरी ब्रा निकाल दी। मेरी चूंचियो के दर्शन कर के दोनो चुच्चो का रसपान करने के लिए। उसने अपना मुँह मेरी चुच्चो के निप्पल पर लगा दिया। अभय ने मेरी दोनों चुच्चो के निप्पल को बारी बारी से पीना शुरू किया। मैंने उसका सर अपने चुच्चो से सटा दिया। अभय मेरे बूब्स को दबा दबा कर चुस रहा था। बीच बीच में मीठी निप्पलों को काट लेता। मेरी मुँह से सिसकारियां निकल जाती थी। मैं “सी…सी..सी…-अहहह्ह्ह्हह स्सीई ई ई इ..अ अ अ अअ…उफ़…फ..उफ्फ्फ…उफ्फ्फ..!! की आवाज निकल रही थी। अभय मेरे चुच्चो को चूसने में मस्त था। मैं तेज तेज से साँसें ले रही थी। मै गरम गरम साँसे छोड़ रही थी।
उसने मेरे चुच्चो का रस पीकर रुक गया। अभय ने मेरे लोवर को नीचे सरका दिया। मेरी लोवर को नीचे करके निकाल कर उसने मुझे पैंटी में कर दिया। अभय के सामने मै पैंटी में खड़ी थी। मुझे शरम आ रहीथी। अभय ने मेरी पैंटी पीकर अपना हाथ रखकर घुमाने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
लग रहा था अभय मुझे गुदगुदी कर रहा है। अभय ने कुछ देर तक मेरी चूत पर हाथ फेरा उसके बाद उसने मेरी पैंटी निकाल दी। मैंने अपनी चूत को हाथ से ढक लिया। अभय ने मेरे हांथो को हटा कर। मेरी चिकनी चूत के दर्शन करने लगा। अपना मुँह मेरी चूत पर लगा कर चाटने लगा। मुझे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था। वो अपना जीभ मेरी चूत पर चला कर चाट रहा था। अभय को भी मेरी चूत चकटने में बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा दी। मै सिसक रही थी। मैं-““….अई….अई….अई……अई…-इसस्स्स्स्स्स्स्स……उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह की सिसकारियां मेरे मुह से निकल रकही थी। मैंने अपनी चूत में अभय कर सर दबा दिया। वो और जोर से मेरी चूत पीने लगा। मै बहुत ही गर्म हो गई। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसने मेरी चूत का सारा माल पी लिया।
कुछ देर बाद अभय ने मेरी चूत को पीना बंद किया। मैंने उसकी पैंट निकाल दी। उसका लंड उसके कच्छे में तना हुआ दिख रहा था। मैंने अभय का कच्छा भी निकाल दिया। उसका लंड बहुत बड़ा था। अभय काकच्छा निकालते ही उसके लंड अपना फन फैलाने लगा। लंड लगभग 8 इंच का था। मैंने अभय के लंड को अपने हाथों में लेकर मै भी खेलने लगी। आगे पीछे कर रही थी। मैंने सेक्स के सारे स्टेप ब्लू फिल्म मेंसीखे थे। मैं उसके लंड को मुठ मार कर और मोटा कर रही थी। अभय का लंड गर्म होकर कडा हो गया। मैंने कुछ देर तक उसका लंड चूसा। अभय की दोनों गोलियां नीचे लटक रही थी। मैं दोनो गोलियों को टॉफी की तरह अपनी मुँह में रखकर चूसने लगा। वो भी चोदने को बेकरार होने लगा। मैंने उसके लंड को छोड़ दिया। अभय ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, खुद खड़ा हो गया। अभय ने अपना लंड मेरे चूत के दोनों टुकड़ो के बीच में फंसाकर रगड़ने लगा।
मैं “–अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ—-अअअअअ—-आहा —हा हा हा” की तेज सिसकियाँ निकाल रही थी. वो बहुत तेज तेज अपना लंड चूत पर रखकर रगड़ रहा था. मैं गर्म हो रही थी. मेरी चूत भी गर्म हो रही थी. बड़ा हॉट हॉट फील हो रहा था. मै चुदने को बहुत ज्यादा तड़पने लगी। मैंने अभय से कहा-” अभय और ना तड़पा। बहुत हो गया। अब डाल दो”। अभय ने अपना सर हिलाया और अपना लौड़ा मेरी बुर में पेलने लगा। मै आज पहली बार चुदाई का आनन्द पाने जा रही थी। वो अपना लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश कर रहा था। मेरी चूत बहुत ही टाइट थी। अभय का लौड़ा जल्दी घुस ही नहीं रहा था। बड़े कोशिशों के बाद अभय ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी मुँह से “…-मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी– हा हा हा …-ऊऊऊ ..ऊँ…ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ…” की चीख निकल गई। अभय ने फिर से धक्का मारा। मेरी थोड़ी सी फटी चूत को इस बार पूरा लंड घुसा कर फाड़ दिया। मैंने जोर से चिल्लाया। अभय डर गया। अभय ने चुदाई ही रोक दी। मै चुप हो गई।
अभय ने फिर से अपना लौड़ा मेरी चूत में डालकर पेलने लगा। इस बार मैंने धीऱे धीऱे सिसकारियां लेकर चुदवाने लगी। मै अब धीऱे धीरे सिसक रही थी। मेरी मुँह से अब “ओह्ह माँ…..ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…..अअअअअ आ आ आ आ…” की सिसकारियां भर रही थी। अभय मेरी चूत में अपना लंड लगातार पलटा रहा। मै सिसकती रही। मेरी चूत में उसका लंड लपा लप अंदर बाहर हो रहा था। अभय की चुदाई कीस्पीड बढ़ती ही जा रही थी। वो अपना पूरा लंड मेरी चूत ने डाल रहा था। उसकी दोनों गोलियां मेरी चूत के नीचे लड़ रही थी। मैं अपनी अंगुली से अपनी चूत को मसल रही थी। मेरी चूत बहुत ही गरम हो गई। अभय का लौड़ा मेरी गर्म चूत की गर्मी को शांत कर रहा था।
आज मुझे पहली बार किसी का लंड खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। अभय का लौड़ा आज मुझे लौड़े से चुदाई का एहसास करा रहा था।कुछ देर बाद उसने मेरी चूत से अपना लौंडा बाहर निकाला। अभय का घुटना दर्द करने लगा था। अभय ने मुझे खड़ी करके झुका दिया। अभय ने अपना लौड़ा पीछे से मेरी चूत में डाल दिया। अभय ने मेरी कमर पकड़ी। जोर से धक्का मार कर अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस दिया। मैं “——अई—अई—-अई——अई—-इसस्स्स्स्स्——-उहह्ह्ह्ह—–ओह्ह्ह्हह्ह—-” बोलकर चीख रही थी। अभय अपना लौड़ा मेरी कमर पकड़ कर जोर जोर से पेल रहा था। अपनी कमर को जल्दी जल्दी हिला हिला कर मेरी चुदाई कर रहा था। उसकी ताबड़तोड़ चुदाई ने मेरी चूत से पानी निकाल लिया। अभय ने मेरी चूत को चोद चोद कर भरता बना डाला।
मेरी चूत बार बार अपना पानी छोड़ रही थी। बड़ा मजा आ रहा था। अभय मेरी चूत से अपना लंड निकाल कर मेरी गांड में घुसाने लगा। मेरी गांड की छेद पर अपना लौड़ा रख कर जबरदस्ती मेरी छेद में घुसाने लगा। मेरी गांड ने बहुत कोशिशों के बाद अभय का लंड थोड़ा सा अंदर ले लिया। अभय का थोड़ा लौड़ा अंदर जाते ही उसने पूरा लौड़ा अंदर घुसा दिया। मैं दर्द से चिल्लाने लगी। “ हूँ उ उ उ हूँ उ उ उ हूँउउउ …-ऊ…ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा…ओ हो हो….” की आवाज निकाल कर चुदवाने लगी। अभय ने खूब गांड मारी।
वो भी अब झड़ने वाला हो गया। खड़े खड़े ही मेरे साथ सेक्स कर रहा था। अभय ने अपना लौड़ा निकाल कर मेरी मुँह के सामने करके मुठ मारने लगा। मैंने जल्दी से अपना मुंह खोल दिया। उसने मुठ मार कर अपना सारा माल मेरी मुँह में गिरा दिया। मैंने सारा माल पी लिया। मुझे उसके लंड का पानी बहुत अच्छा लगा। अभय और हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर चिपक कर लेट गये। 1 घंटे बाद उसने अपना कपड़ा पहना और चला गया। मै कुछ देर नंगी ही लेटी रही। चुदाई के बारे में सोच रही थी। मैंने भी कुछ देर बाद अपने कपडे पहन लिए। अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता है हम लोग खूब चुदाई करते है। हमे खूब मजा आता है। कहानी आपको कैसे लगी,
मेरा नाम रिया है। मैं बनारस में रहती हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है। मैं देखने में बहुत ही हॉट और सेक्सीलगती हूँ। मेरे मम्मे बहुत ही रोमांचक है। लड़के मेरे मम्मो को देखते ही अपना लंड खड़ा कर लेते हैं। मुझे भी अपने मम्मो को चुसाना बहुत अच्छा लगता है। मैं खुद भी अकेले में अपने मम्मो को चूसती हूँ। मैने अपनी सील खुद ही तोड़ी है। अभी तक मैंने किसी लड़के से नहीं चुदवाया था। अब तक मैं ब्लू फिल्म देख देख कर मुठ मार लेती थी। रात में मै किचन से बैगन ले आती थी। बैगन ना हो तो मूली गाजर और कई लंबी सब्जियां ले आती थी। रात में सब्जियों को अपनी चूत में डालकर लंड का एहसास करती थी। कई बार तो मैंने अपने चूत में सब्जियों को डालकर ही सो जाती। सुबह जब उठती तो निकालती थी। मुझे सेक्सकरने का बहुत ही मन कर रहा था। सब्जियां से बहुत काम चला लिया। अब तो बस लंड खाने को मन कर रहा था। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
मेरे पापा की कई टैक्सियां हैं। उसी से हमारे घर किसी तरह से पैसा आता है। बाकी कमाई का कोई रास्तानहीं है। मेरा एक भाई है जो अभी छोटा है। पापा अकेले ही पूरा घर सँभालते है। मेरी कोई बहन नहीं है। मम्मी घर पर ही रहती है। दादा दादी जी जब मैं छोटी थी तभी गुजर गए थे। मैंने M.A फ़ाइनल कर लिया है। अब मैं पूरा दिन घर पर ही रहती थी। मेरे कॉलेज के लड़के मुझ पर मरते थे। लेकिन मुझे कोई पसंद ही नहीं आता था। कोई भी लड़का स्मार्ट ही नहीं था। किसी की हाइट छोटी, तो कोई काला। इसी वजह से मेरी किसी लड़के से दोस्ती नहीं हुई। और अब तक मैं चुदने के मामले में कुवांरी रह गई। मै चुदने को बेकरार हो रही थी। मैं हर रोज ब्लू फिल्म देखकर सब्जियों और अँगुलियों से काम चला रही थी। आखिर एक दिन आ ही गया जब मुझे चुदाई का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
एक दिन की बात है। मेरे मोहल्ले का एक लड़का था जो काफी सीधा बनता था। कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखता था। मुझे वो बहुत पसंद था। मेरा घर उसके घर से लगभग 150 मीटर दूर था। मेरे मामा के यहाँ कोई पार्टी थी। तो मम्मी और मेरा भाई मामा के यहां चले गए थे। मै और पापा घर पर ही थे। पापा भी कुछ देर बाद अपने काम पर चले गए। अब मैं अकेली ही घर पर थी। मैं ब्लू फिल्म देख रही थी। पापा के जाने के 2 घंटे बाद बहुत तेज बारिश होने लगी। मै घर पर बरामदे में बैठी थी। अचानक मैंने अपने मोहल्ले वाले लड़के को गेट के पास पेड़ के नीचे खड़े देखा। उसका नाम अभय था। वो पहले मेरे ही साथ पढ़ता था।
मैंने आवाज दी- “अभय अंदर आ जाओ। बहुत तेज बारिश हो रही है”। अभय गेट खोलकर अंदर आ गया।
अभय- “थैंक यू’
मै-“थैंक यू क्यों? तुम मेरे दोस्त थे। अब भी दोस्त हो। इसमें थैंक यू का कोई काम नहीं। अभय मुझे घूर रहा था
मै-“क्या देख रहे हो अभय”
अभय-“तुम्हे देख रहा था। तुम कितना बदल गई हो। पहले तो तुम ऐसी नहीं थी”।
मै-“तुम्हे कैसे पता। तुम तो कभी किसी की तरफ देखते ही नहीं थे”।
अभय-“मैं तो तुम्हे पहले से ही देखता था”
मै-” झूंठ बोल रहे हो। तुम मुझे ही क्यों देखते थे। और भी लडकियां थी। उन्हें भी तुम देखते रहे होंगे”
अभय- “झूठ नहीं बोल रहा। मै सिर्फ तुम्हे ही देखता था”
मै- “मुझे ही क्यों देखते थे”
अभय- फ़िल्मी डायलॉग में बोलने लगा “पता नहीं क्यों जबसे तुमको देखा। पता नहीं कैसा लगा। लेकिन जब भी मैं तुम्हे नहीं देखता। तो मुझे उस दिन अजीब लगता था। मै अब भी तुमको देखता हूँ” मैंने कहा- ऐसा क्यूँ। अभय ने पता नहीं। मै चुपचाप बैठी थी। अभय ने कहा- तुम किसी से प्यार करती हो। मैंने कहा- हाँ। अभय- किससे?? मैंने कहा- बता दूं। अभय का चेहरा लाल पीला हो रहा था। मैंने कहा- तुमसे। अभय की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
अभय ने कहा- तो पहले क्यों नहीं बोल दिया। मैंने कहा- कभी देखते भी थे तुम मेरी तरफ। अभय और मै दोनों लोग पास पास सटकर कुछ देर बाद बैठ गए। अभय ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। कहने लगा- जो मैं आज तक नहीं बोला किसी से वो मै आज तुमसे बोलता हूँ। फिर अभय ने बोला- आई लव यू। मै भीख़ुशी से अभय को बाहों में भरकर लव यू टू बोलने लगी। अभय ने मुझे चूम लिया। मै मन ही मन खुश हो गई। मैंने भी अभय को चूम लिया। अभय ने फिर से मुझे हँसते हुए चूमा। मैंने भी अभय को फिर से चूमा। इस तरह से हम दोनों ने शुरूवात की। अभय शरमा रहा था। लेकिन मुझे चुदाई के लिए बेचैनी होने लगी। मै अभय की गोद में बैठ गई। अभय मुझे कस के पकड़ लिया। अभय मेरे गले को चूम रहा था। मैं गरम होंने लगी। बारिश खूब तेज हो रही थी।
किसी के आने का कोई डर नहीं था। हम दोनों बरामदे में ही चुम्मा चाटी कर रहे थे। अभय ने मेरे होंठो पर अपना होंठ रख कर चूमने लगा। मै भी अभय का साथ दे रही थी। अभय मेरी होंठ को काट काट कर चूस रहा था। अभय को मैने भी पकड़ लिया। अभय ने तुरंत अपना हाथ मेरी कमर से हटा कर। मेरी दोनों कानो कों पकड कर दबा दिया। मेरे होंठ को अपने होंठो से चिपका कर जोर जोर से मेरे होंठ चूसने लगा। मेरा होंठ चूसते चूसते काला हो गया। मै भी अभय की होंठ कों जोर जोर से चूस रही थी। अभय ने मेरी होंठ का रस निचोड़ निचोड़ कर पी रहा था। मेरे गुलाब जैसे होंठो को रसगुल्ले की तरह काला कर दिया। मुझे पहली बार किसी के चूमने का एहसास हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उस दिन हाफ लोवर औऱ टी शर्ट पहन रखी थी। अभय मेरे मम्मो को घूर रहा था। उसे मेरे मम्मो को छूने से डर लग रहा था। कुछ देर बाद बड़ी हिम्मत करके मेरे बूब्स पर हाथ रख दिया।
किस करते करते अभय की हिम्मत बढ़ रही थी। मैंने कहा कुछ भी करो आज से मै तेरी हो गई। अभय अब मेरे होंठ को चूसते चूसते मेरे बूब्स भी दबाने लगा। मै अपने बूब्स दबवा रही थी। लेकिन मेरे पडोसी के घर का कोई ना देख ले हमे इसीलिए मैं अभय के साथ अपने रूम में चली आयी। अभय ने फिर वही कार्यक्रम जारी रखा। मैंने उसके तने लंड पर अपना हाथ रख दिया। वो समझ गया मै चुदवाने को बेकरार हूँ। मैं चुदवाना चाहती हूँ। उसने मेरी टी शर्ट निकाल दी। मेरी सफ़ेद रंग की ब्रा में मेरी चूंचियां बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। अभय मेरे बूब्स को दबा रहा था। आज पहली बार कोई दूसरा मेरे बूब्स को दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। अभय ने अपने दोनों हाथों में मेरे चुच्चो को लेकर खेलने लगा।
मेरे दोनो चुच्चो को दबा दबा कर उसका भरता लगा रहा था। अभय ने मेरी ब्रा निकाल दी। मेरी चूंचियो के दर्शन कर के दोनो चुच्चो का रसपान करने के लिए। उसने अपना मुँह मेरी चुच्चो के निप्पल पर लगा दिया। अभय ने मेरी दोनों चुच्चो के निप्पल को बारी बारी से पीना शुरू किया। मैंने उसका सर अपने चुच्चो से सटा दिया। अभय मेरे बूब्स को दबा दबा कर चुस रहा था। बीच बीच में मीठी निप्पलों को काट लेता। मेरी मुँह से सिसकारियां निकल जाती थी। मैं “सी…सी..सी…-अहहह्ह्ह्हह स्सीई ई ई इ..अ अ अ अअ…उफ़…फ..उफ्फ्फ…उफ्फ्फ..!! की आवाज निकल रही थी। अभय मेरे चुच्चो को चूसने में मस्त था। मैं तेज तेज से साँसें ले रही थी। मै गरम गरम साँसे छोड़ रही थी।
उसने मेरे चुच्चो का रस पीकर रुक गया। अभय ने मेरे लोवर को नीचे सरका दिया। मेरी लोवर को नीचे करके निकाल कर उसने मुझे पैंटी में कर दिया। अभय के सामने मै पैंटी में खड़ी थी। मुझे शरम आ रहीथी। अभय ने मेरी पैंटी पीकर अपना हाथ रखकर घुमाने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
लग रहा था अभय मुझे गुदगुदी कर रहा है। अभय ने कुछ देर तक मेरी चूत पर हाथ फेरा उसके बाद उसने मेरी पैंटी निकाल दी। मैंने अपनी चूत को हाथ से ढक लिया। अभय ने मेरे हांथो को हटा कर। मेरी चिकनी चूत के दर्शन करने लगा। अपना मुँह मेरी चूत पर लगा कर चाटने लगा। मुझे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था। वो अपना जीभ मेरी चूत पर चला कर चाट रहा था। अभय को भी मेरी चूत चकटने में बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा दी। मै सिसक रही थी। मैं-““….अई….अई….अई……अई…-इसस्स्स्स्स्स्स्स……उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह की सिसकारियां मेरे मुह से निकल रकही थी। मैंने अपनी चूत में अभय कर सर दबा दिया। वो और जोर से मेरी चूत पीने लगा। मै बहुत ही गर्म हो गई। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसने मेरी चूत का सारा माल पी लिया।
कुछ देर बाद अभय ने मेरी चूत को पीना बंद किया। मैंने उसकी पैंट निकाल दी। उसका लंड उसके कच्छे में तना हुआ दिख रहा था। मैंने अभय का कच्छा भी निकाल दिया। उसका लंड बहुत बड़ा था। अभय काकच्छा निकालते ही उसके लंड अपना फन फैलाने लगा। लंड लगभग 8 इंच का था। मैंने अभय के लंड को अपने हाथों में लेकर मै भी खेलने लगी। आगे पीछे कर रही थी। मैंने सेक्स के सारे स्टेप ब्लू फिल्म मेंसीखे थे। मैं उसके लंड को मुठ मार कर और मोटा कर रही थी। अभय का लंड गर्म होकर कडा हो गया। मैंने कुछ देर तक उसका लंड चूसा। अभय की दोनों गोलियां नीचे लटक रही थी। मैं दोनो गोलियों को टॉफी की तरह अपनी मुँह में रखकर चूसने लगा। वो भी चोदने को बेकरार होने लगा। मैंने उसके लंड को छोड़ दिया। अभय ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, खुद खड़ा हो गया। अभय ने अपना लंड मेरे चूत के दोनों टुकड़ो के बीच में फंसाकर रगड़ने लगा।
मैं “–अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ—-अअअअअ—-आहा —हा हा हा” की तेज सिसकियाँ निकाल रही थी. वो बहुत तेज तेज अपना लंड चूत पर रखकर रगड़ रहा था. मैं गर्म हो रही थी. मेरी चूत भी गर्म हो रही थी. बड़ा हॉट हॉट फील हो रहा था. मै चुदने को बहुत ज्यादा तड़पने लगी। मैंने अभय से कहा-” अभय और ना तड़पा। बहुत हो गया। अब डाल दो”। अभय ने अपना सर हिलाया और अपना लौड़ा मेरी बुर में पेलने लगा। मै आज पहली बार चुदाई का आनन्द पाने जा रही थी। वो अपना लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश कर रहा था। मेरी चूत बहुत ही टाइट थी। अभय का लौड़ा जल्दी घुस ही नहीं रहा था। बड़े कोशिशों के बाद अभय ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी मुँह से “…-मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी– हा हा हा …-ऊऊऊ ..ऊँ…ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ…” की चीख निकल गई। अभय ने फिर से धक्का मारा। मेरी थोड़ी सी फटी चूत को इस बार पूरा लंड घुसा कर फाड़ दिया। मैंने जोर से चिल्लाया। अभय डर गया। अभय ने चुदाई ही रोक दी। मै चुप हो गई।
अभय ने फिर से अपना लौड़ा मेरी चूत में डालकर पेलने लगा। इस बार मैंने धीऱे धीऱे सिसकारियां लेकर चुदवाने लगी। मै अब धीऱे धीरे सिसक रही थी। मेरी मुँह से अब “ओह्ह माँ…..ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…..अअअअअ आ आ आ आ…” की सिसकारियां भर रही थी। अभय मेरी चूत में अपना लंड लगातार पलटा रहा। मै सिसकती रही। मेरी चूत में उसका लंड लपा लप अंदर बाहर हो रहा था। अभय की चुदाई कीस्पीड बढ़ती ही जा रही थी। वो अपना पूरा लंड मेरी चूत ने डाल रहा था। उसकी दोनों गोलियां मेरी चूत के नीचे लड़ रही थी। मैं अपनी अंगुली से अपनी चूत को मसल रही थी। मेरी चूत बहुत ही गरम हो गई। अभय का लौड़ा मेरी गर्म चूत की गर्मी को शांत कर रहा था।
आज मुझे पहली बार किसी का लंड खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। अभय का लौड़ा आज मुझे लौड़े से चुदाई का एहसास करा रहा था।कुछ देर बाद उसने मेरी चूत से अपना लौंडा बाहर निकाला। अभय का घुटना दर्द करने लगा था। अभय ने मुझे खड़ी करके झुका दिया। अभय ने अपना लौड़ा पीछे से मेरी चूत में डाल दिया। अभय ने मेरी कमर पकड़ी। जोर से धक्का मार कर अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस दिया। मैं “——अई—अई—-अई——अई—-इसस्स्स्स्स्——-उहह्ह्ह्ह—–ओह्ह्ह्हह्ह—-” बोलकर चीख रही थी। अभय अपना लौड़ा मेरी कमर पकड़ कर जोर जोर से पेल रहा था। अपनी कमर को जल्दी जल्दी हिला हिला कर मेरी चुदाई कर रहा था। उसकी ताबड़तोड़ चुदाई ने मेरी चूत से पानी निकाल लिया। अभय ने मेरी चूत को चोद चोद कर भरता बना डाला।
मेरी चूत बार बार अपना पानी छोड़ रही थी। बड़ा मजा आ रहा था। अभय मेरी चूत से अपना लंड निकाल कर मेरी गांड में घुसाने लगा। मेरी गांड की छेद पर अपना लौड़ा रख कर जबरदस्ती मेरी छेद में घुसाने लगा। मेरी गांड ने बहुत कोशिशों के बाद अभय का लंड थोड़ा सा अंदर ले लिया। अभय का थोड़ा लौड़ा अंदर जाते ही उसने पूरा लौड़ा अंदर घुसा दिया। मैं दर्द से चिल्लाने लगी। “ हूँ उ उ उ हूँ उ उ उ हूँउउउ …-ऊ…ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा…ओ हो हो….” की आवाज निकाल कर चुदवाने लगी। अभय ने खूब गांड मारी।
वो भी अब झड़ने वाला हो गया। खड़े खड़े ही मेरे साथ सेक्स कर रहा था। अभय ने अपना लौड़ा निकाल कर मेरी मुँह के सामने करके मुठ मारने लगा। मैंने जल्दी से अपना मुंह खोल दिया। उसने मुठ मार कर अपना सारा माल मेरी मुँह में गिरा दिया। मैंने सारा माल पी लिया। मुझे उसके लंड का पानी बहुत अच्छा लगा। अभय और हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर चिपक कर लेट गये। 1 घंटे बाद उसने अपना कपड़ा पहना और चला गया। मै कुछ देर नंगी ही लेटी रही। चुदाई के बारे में सोच रही थी। मैंने भी कुछ देर बाद अपने कपडे पहन लिए। अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता है हम लोग खूब चुदाई करते है। हमे खूब मजा आता है। कहानी आपको कैसे लगी,
Saturday, 23 September 2017
चाचा ने सिखाया सेक्सी अंदाज में चुदाई करना, Sex Story, सेक्स कहानियाँ
हेलो दोस्तों मैं आप सभी का HeloSex.Com में बहुत बहुत स्वागत
करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई
रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी
कहानी सूना रही थी। आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी।
मेरा नाम नमिता है। मेरी उम्र 21 साल की है। मै देखने में ज्यादा खूबसूरत तो नहीं हूँ। लेकिन हॉट लगती हूँ। मेरा सामान बहुत बड़ा बड़ा है। मेरी चूंचिया बडी बड़ी है। मेरी गांड़ भी काफी बड़ी है। मेरी दोनो चुच्चो बड़े ही मजेदार है। मेरे चुच्चे को दबाने में बहुत मजा आता है। जो भी एक बार मेरे चुच्चो का दर्शन करके उसका रसपान करता है। वो हमेशा मेरे चुच्चो के रस को पीने के लिए परेशान रहता है। अब तक मैंने कई लड़को से अपनी चूत फड़वाई है।लेकिन सबसे पहले चुदाई से वाकिफ कराया था मेरे चाचा ने। कई लड़के मेरी गांड़ और चूत को फाड़कर उसका आनंद ले चुके है। मुझे भी अपनी गांड चुदवाने में बहुत मजा आता है। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं इण्टर पास कर चुकी थी। मैं एक मीडियम परिवार की लड़की हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मम्मी पापा ,चाचा, और दादा, दादी भी हमारे साथ रहते हैं। सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मै अभी कच्ची नाजुक कली थी। लेकिन अब मै धीऱे धीऱे कली से फूल होने लगी थी। मेरी उम्र के साथ साथ मेरी जवानी भी बढ़ती जा रही थी। मेरे जवानी के कई सारे दीवाने थे। चाचा मुझे बहुत प्यार करते थे। लेकिन इस कातिलाना यौवन से वो भी ना बाख सके। चाचा का भी लौड़ा चूत में घुसने को तैयार हो चुका था। बस घुसने की देरी थी। चाचा भी कुछ दिनों से मेरी जवानी के छरहरे बदन को ताड़ रहे थे। अब उन्हें भी मौके का इंतज़ार करना पड़ रहा था।
चाचा मेरे ऊपर घात लगाए बैठे थे। लेकिन मुझे क्या पता था कि चाचा के साथ भी सेक्स किया जा सकता है। एक दिन आखिर चाचा को मौक़ा मिल ही गया। मेरे मम्मी पापा मामा के यहाँ चले गए थे। मै घर पर चाचा के साथ रुकी हुई थी। चाचू मुझे देख रहे थे। मै चाचू की नजरों को समझ रही थी। जब भी मैं उधर से गुजराती चाचू मुझे घूरते हुए देख रहे थे। मेरा भी मन चुदवाने को कर रहा था। चाचू अपने फ़ोन में हमेशा नई नई ब्लू फिल्म डलवाये रहते थे। मै कभी कभी उनके फोन में ब्लू फिल्म देख लेती थी। ब्लू फिल्म देख कर मै मुठ मारती थी। चाचू मुझे देख कर मुठ मारते थे। मुठ मार कर कभी कभी चाचू अपना माल मेरे कपडे पर गिरा देते थे। चाचू की ये हरकत मुझे आता थी। लेकिन मैं चाचू से कुछ नहीं कह पाती थी। चाचू की चोदने की बेचैनी मुझसे भी नहीं देखी जा रही थी। मेरी भी चुदवाने की बेचैनी चाचू की तरह बढ़ रही थी। चाचू को मौक़ा मिला तो चाचू मेरे पास आका लेट गए। मै चाचू के साथ उन्ही के बिस्तर पर लेटी थी।
चाचू ने मुझे अपने से चिपका लिया। ये तो चाचू के लिए आम बात थी। क्योंकि वो तो मुझे अक्सर अपने से चिपका कर ही प्यार करते थे। मै चाचू से चिपकी हुई थी। चाचू का लौड़ा मेरी गांड़ में चुभ रहा था। चाचू अपना लौड़ा जानबूझ कर मेरी गांड में चुभा रहे थे। मुझे चाचू का लौड़ा मुझे अपनी गांड़ में लगवाना बहुत ही अच्छा लग रहा था। चाचू मुझसे बात भी कर रहे थे।
मै-“चाचू कुछ पीछे चुभ रहा है”
चाचू-“कुछ नहीं बेटा। कहाँ चुभ रहा है?”
मैंने अपना हाथ चाचू के लौड़े पर रख दिया। चाचू यही चुभ रहा है।
चाचू-“बेटा ये तो मेरा लौड़ा है। ये कैसे चुभ रहा है तुम्हे। इसके चुभने से तो मजा आता है”
मै-“इसके चुभने से मजा कैसे आता है”
चाचू-“नमिता इसे मै बता नहीं सकता। अगर कर के देख लो तो खुद ही पता चल जायेगा”
मै-“चाचू करना क्या होगा हमे। हमे मजा चाहिए आज”
चाचू-“ठीक है फिर जैसा मै करूं करने देना। कुछ रोकना मत। नहीं तो सारा मजा किरकिरा हो जायेगा”
मै-” ठीक है चाचू जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी”
इतना कहते ही चाचू मेरे होंठो पर अपनी होंठ रख कर चूंसने लगे। मै भी चाचू के कहने के अनुसार उनका साथ देने लगी। मैने भी चाचू के होंठ पर होंठ रगड़ कर चूमने चूंसने लगी। मैंने चाचू को कस कर पकड लिया।
चाचू ने कहा-“तुम तो सब कुछ जानती हो। तुम बहुत अच्छे से किस कर रही हो। कहाँ से सीखी तुमने?”
मै-“चाचू आप के फोन में ब्लू फिल्म देख कर। मै रोज आपके फ़ोन में देखती थी”
चाचू-“पगली वो मै जान बूझकर डलवाता था। तेरे लिए। अगर तू देखेगी तभी तो सीखेगी”
मै-“चाचू मै सीख चुकी हूँ। लेकिन अभी तक किया नहीं था। तो आज आप करना भी सिखा दोगे”
मै चाचू की गले को कस कर पकडे हुई थी। चाचू ने अपना होंठ फिर से मेरे होंठ पर सेट करके मेरे होंठो की जबरदस्त चुसाई करने लगे। मैंने चाचू की होंठ को चूस चूस कर काला कर दिया। चाचू ने भी मेरे होंठ को चूस चूस कर लाल लाल खून की तरह कर दिया। चाचू की होंठ चुसाई से बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे।
चाचू तो होंठ चुसाई में माहिर थे। वो मेरी जीभ को भी चूस रहे थे। मुझे बहुत कुछ चाचू से सीखने को मिल रहा था। चाचू मेरे होंठ को काट काट कर चूस रहे थे। चाचू की होंठ चुसाई का बहुत ही आंनद प्राप्त जो रहा था। आज मुझे पहली बार होंठ चुसवाने का मौका मिला था। मै अपने होंठ को चुसवाते चुसवाते थक गई। मैंने अपना सर चाचू से दूर किया। मेरे मुँह से गर्म गर्म साँसे निकल रही थी। मेरा गाल लाल लाल हो गया। मै गरम हो रही थी। मेरे गरम होते ही चाचू मेरे चूंचियों पर हाथ रख कर। मेरी चूंचियों को मसलने लगे। मै और ज्यादा जोश में आ रही थी। चाचू के चूंचियां दबाते ही मेरे मुँह से सिसकारियां निकल जाती। मै धीऱे धीऱे से “….अई…अई…. अई….अई….उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह…” की आवाज के साथ मैं अपनी चूंचियां दबवा रही थी। मैंने काले रंग की टी शर्ट और सफ़ेद रंग की पैंट पहन रखी थी। मेरे इस तरह के रंग को देख कर चाचू को बहुत जोश आ रहा था। मै काले कपड़े में बहुत ही हॉट और सेक्सी लगती हूँ।
मैंने उस दिन चाचू मुझे आज बहुत ही हवस के नजरो से देख रहे थें। मैं चाचू से डरने लगी। मेरा हाथ चाचू के लौड़े पर था। चाचू का बड़ा मोटा लौड़ा छूकर मुझे डर लगने लगा। चाचू ने मेरी टी शर्ट निकाल दिया। मै अब चाचू के सामने ब्रा में खड़ी थी। मुझे चाचू के सामने ऐसे रहने में शरम आ रही थी। मै अपनी नजरे झुकाए हुए चाचू के सामने खड़ी थी। चाचू ने मेरा सर ऊपर करके मुझे देखने लगे। चाचू मेरी चूंचियों को ऊपर से ही मसल रहे थे। मैं अपनी चूंचियो को दबवाने में मस्त थी। मेरी चूंचियां बहुत ही सॉफ्ट है। चाचू मेरे मुलायम चूंचियों को जल्दी जल्दी मसल रहे थे। चाचू ने मेरी ब्रा की हुक पीछे से खोल दी। चाचू के ब्रा के हुक खोलते ही मेरी ब्रा ढीली हो गई। मैंने अपनी ढीली ब्रा को निकाल दिया। चाचू मेरे चूंचियों को पीने लगे। चाचू मेरी दोनों चूंचियों को अपने हाथों में लेकर खेल रहे थे। चाचू मेरी मुलायम चूंचियों की बड़ी तारीफ़ कर रहे थे। चाचू मेरी दोनों चूंचियों को बारी बारी से पी रहे थे। मैंने चाचू के लौड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया। चाचू मेरे मम्मो को अच्छे से चूस रहे थे। मुझे अपने चूंचियो को चुसाना बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने चाचू का सर अपने चूंचियो में दबा लिया। चाचू के चूंचियो के पीने से मेरी जान निकल रही थी। चाचू जैसे ही अपना जीभ मेरी चूंचियों के निप्पल पर लगाते। मेरी साँसे तेज हो जाती। मै “उ उ उ उ उ…अ अ अ अ अ आ आ आ आ….सी सी सी सी…ऊँ…ऊँ…ऊँ…” चाचू मेरी चूंचियो को काट रहे थे। मेरी चूंचियों का रसपान चाचू ने अच्छे से करके मेरी चूंचियो से खेलना शुरू किया। चाचू मेरी चूंचियों के निप्पल को पकड़ कर खींचते रहते थे। चाचू का ये खेल मेरी चीखे निकाल देता था। चाचू ने मेरी चूंचियो से खेलना बंद किया। चाचू ने मुझे उठाया। चाचू अब मेरी पैंट को खोल रहे थे। चाचू ने मेरी पैंट को खोल कर निकाल दिया। मुझे अब तो और शर्म आ रही थी। मै चाचू के सामने सिर्फ पैंटी में ही खड़ी थी।
चाचू की नजर मेरी पैंटी पर ही टिकी थी। चाचू मेरी पैंटी को भी निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। मुझे शर्म आ रही थी। तो मैंने अपना हाथ अपनी पैंटी पर चूत के ऊपर रख लिया। चाचू ने मेरी पैंटी निकाल दी। मै चाचू के सामने अब एक दम से नंगी खड़ी थी। छाचू ने मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए। मेरी चूत पर रखे हाथ के ऊपर हाथ रख दिया। चाचू ने धीऱे धीऱे से अपना मेरा हाथ मेरी चूत से हटाया। चाचू अपनी उँगलियों से मेरी चूत को डाल रहे थे। मै बहुत ही जोश में आ रही थी। चाचू ने अपनी दो अंगुलिया मेरी चूत में डाल दिया। मै “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज निकालने लगी।
मुझे अपने कान से आग की लपट निकलने का एहसास होने लगा। मैंने अपना हाथ चाचू के लंड पर रख कर चाचू का लौड़ा दबाने लगी। चाचू ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मैं बिस्तर पर लेट गई। चाचू ने मेरी दोनों टांगे खोल दी। चाचू मेरी चूत के अच्छे से दर्शन कर लिया। मेरी चूत सावली है। चाचू ने अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया। चाचू के मुह चूत पर लगाते ही मैं झड़ गई। चाचू ने अपना जीभ मेरी चूत को चाटने में लगा दिए। चाचू की जीभ मेरी चूत को चाट चाट कर अच्छे से साफ़ कर रहे थे। मैंने भी चाचू का सर अपनी चूत में कस कर दबा लिया।
चाचू ने मेरी चूत से बहते पानी को पीकर अपना प्यास बुझाने लगे। चाचू की प्यास बढ़ गई। चाचू ने अपनी जीभ को और जल्दी जल्दी मेरी चूत पर चलाने लगे। मै तो गर्म हो के मरी जा रही थी। चाचू की जीभ के रगड़ ने मेरी चूत को आग की तरह गर्म कर दिया। चाचू ने अपनी जीभ मेरी चूत के भीतर लंबी करके डालने लगे। चाचू की जीभ मेरी चूत में घुसकर सारा माल चाट कर साफ़ कर दिया। चाचू ने मुझे अपनी पैंट निकाल कर। अपना लौड़ा थमा दिया। मै चाचू के लौड़े को अपने दोनों हाथों से पकडे हुई थी। चाचू का लौड़ा बिलकुल रॉड की तरह टाइट था। लौड़ा छूते ही बहुत गर्म होने क़्क़ एहसास हो गया। चाचू का लौड़ा मेरी चूत में घुसने को तैयार खड़ा था।
चाचू ने अपना लौड़ा मेरी मुँह में रख दिया। मैं चाचू का लौड़ा चूसने में मस्त हो गई। चाचू ने अपना 10 इंच का लौड़ा मेरी मुँह में ठूंस कर भर दिया। मेरा गला फटा जा रहा था। मैंने चाचू का लौड़ा अपने मुँह से निकाला। चाचू के लंड का टोपा मै चूस रही थी। चाचू के लंड का टोपा चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। चाचू के लौड़े की दोनों गोलियां मै टॉफी की तरह मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने चाचू की गोलियों को खूब मजे ले ले कर चूसा। चाचू को भी अपनी लौड़े की गोलियां चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने चाचू की गोलियों को चूसना बंद किया। चाचू ने मेरी दोनों टांगों को खोल दिया। चाचू ने अपना लौड़ा मीठी चूत पर रख कर पट पट मेरी चूत पर मार रहे थे। मुझे चूत की इस तरह से खातिरदारी में बहुत मजा आ रहा था। चाचू अपना लौड़ा मेरी चूत में रगड़ कर मुझे चुदने को तड़पा रहे थे। मै अब चुदने को बहुत ही तड़पने लगी। मैं अपनी चूत को मसल रही थी। चाचू ने कुछ देर बाद अपना लौड़ा मेरी चूत में डाला। मै दर्द से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ..ऊँ…उनहूँ उनहूँ.की आवाज मेरी मुँह से निकल गई।मैं अपने को कण्ट्रोल नहीं कर पा रही थी। चाचू ने फिर से धक्का मारा इस बार चाचू का पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया।
मै जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने अपनी सील बहुत पहले ही गाजर डाल कर तोड़ ली थी। मैंने चाचू को बताया। चाचू तो चोदने में मस्त थे। मैंने चाचू का लंड अंदर तक लेने लगी। चाचू भी लपा लप अपना लौड़ा अंदर बाहर कर रहे थे। मैंने चाचू के लौड़े से अपनी कमर उठा उठा कर के चुदवाना शुरू किया। आधा लौड़ा चाचू डालते चूत में आधा मै अपनी कमर उठा के डाल लेती थी। चाचू अब मुझे जल्दी जल्दी चोद रहे थे। मुझे भी कमर उठा उठा कर चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपनी कमर को हवा में उछाल उछाल कर चुदवाना शुरू किया।
चाचू ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया। चाचू अब मुझे हवा में उछाल उछाल कर चोद रहे थे। मुझे फूल जैसे अपने हाथों में पकडे लंड को चूत में फिट करके जबरदस्त चुदाई कर रहे थे। मुझे ऐसी चुदाई में बहुत मजा आ रहा था। चाचू मुझे झूला झुला कर चोद रहे थे। मैंने चाचू का गला बहुत ही तेजी से पकड़ लिया। चाचू की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी। चाचू की पैसेंजर अब मेल बन चुकी थी। मुझे वो जल्दी जल्दी हवा में उछाल कर चोद कर आनंद ले रहे थे।
चाचू ने मुझे फिर से बिस्तर पर लिटा दिया। चाचू ने मेरी दोनों टाँगे मोड़ कर मेरे कान के पास कर दी। चाचू का लौड़ा अब बड़ी आसानी से मेरी चूत के छेद पर लग गया। चाचू ने जोर का झटका मार कर एक ही बार में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया।
मै जोर से चीखने लगी। “…उंह उंह उंह..हूँ..हूँ…हूँ…ह मममम अ हह्ह् ह्हह …अई….अई…अई…” की चीख निकाल ली चाचू ने। मुझे अब और ही ज्यादा मजा आने लगा।
मैंने चाचू से कहा-“चाचू मैं झड़ने वाली हूँ”
चाचू-“झड़ जाना थोड़ा रुको”
लेकिन मुझे कंट्रोल नही हुआ। मैंने अपना सारा माल निकाल दिया। मेरा माल निकलते ही चाचू के लंड की भी चुदाई तेज होने लगी। मैंने अपना पानी निकाल दिया। चाचू भी झड़ने वाले हो गए। उन्होंने अपना लौड़ा निकाल कर मेरी मुँह में रख दिया। जोर जोर से मुठ मार कर चाचू ने अपना पूरा माल मेरे मुँह में गिरा दिया। मैंने चाचू का साऱा माल अपने मुँह में भर कर लेटी थी। चाचू ने कहा-“यही तो है इतनी तपस्या का फल।
आशीर्वाद समझ कर पी जाओ”
मैं चाचू के लंड का सारा माल पी गई। फिर बाद में चाचू ने मेरी गांड़ भी फाड़ी। अब तो हम जहां भी मौक़ा पाते हैं। बॉथरूम में भी चुदाई करते हैं। मौक़ा मिलते ही हम कही भी चुदाई कर लेते हैं। कहानी आपको कैसे लगी
मेरा नाम नमिता है। मेरी उम्र 21 साल की है। मै देखने में ज्यादा खूबसूरत तो नहीं हूँ। लेकिन हॉट लगती हूँ। मेरा सामान बहुत बड़ा बड़ा है। मेरी चूंचिया बडी बड़ी है। मेरी गांड़ भी काफी बड़ी है। मेरी दोनो चुच्चो बड़े ही मजेदार है। मेरे चुच्चे को दबाने में बहुत मजा आता है। जो भी एक बार मेरे चुच्चो का दर्शन करके उसका रसपान करता है। वो हमेशा मेरे चुच्चो के रस को पीने के लिए परेशान रहता है। अब तक मैंने कई लड़को से अपनी चूत फड़वाई है।लेकिन सबसे पहले चुदाई से वाकिफ कराया था मेरे चाचा ने। कई लड़के मेरी गांड़ और चूत को फाड़कर उसका आनंद ले चुके है। मुझे भी अपनी गांड चुदवाने में बहुत मजा आता है। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं इण्टर पास कर चुकी थी। मैं एक मीडियम परिवार की लड़की हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मम्मी पापा ,चाचा, और दादा, दादी भी हमारे साथ रहते हैं। सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मै अभी कच्ची नाजुक कली थी। लेकिन अब मै धीऱे धीऱे कली से फूल होने लगी थी। मेरी उम्र के साथ साथ मेरी जवानी भी बढ़ती जा रही थी। मेरे जवानी के कई सारे दीवाने थे। चाचा मुझे बहुत प्यार करते थे। लेकिन इस कातिलाना यौवन से वो भी ना बाख सके। चाचा का भी लौड़ा चूत में घुसने को तैयार हो चुका था। बस घुसने की देरी थी। चाचा भी कुछ दिनों से मेरी जवानी के छरहरे बदन को ताड़ रहे थे। अब उन्हें भी मौके का इंतज़ार करना पड़ रहा था।
चाचा मेरे ऊपर घात लगाए बैठे थे। लेकिन मुझे क्या पता था कि चाचा के साथ भी सेक्स किया जा सकता है। एक दिन आखिर चाचा को मौक़ा मिल ही गया। मेरे मम्मी पापा मामा के यहाँ चले गए थे। मै घर पर चाचा के साथ रुकी हुई थी। चाचू मुझे देख रहे थे। मै चाचू की नजरों को समझ रही थी। जब भी मैं उधर से गुजराती चाचू मुझे घूरते हुए देख रहे थे। मेरा भी मन चुदवाने को कर रहा था। चाचू अपने फ़ोन में हमेशा नई नई ब्लू फिल्म डलवाये रहते थे। मै कभी कभी उनके फोन में ब्लू फिल्म देख लेती थी। ब्लू फिल्म देख कर मै मुठ मारती थी। चाचू मुझे देख कर मुठ मारते थे। मुठ मार कर कभी कभी चाचू अपना माल मेरे कपडे पर गिरा देते थे। चाचू की ये हरकत मुझे आता थी। लेकिन मैं चाचू से कुछ नहीं कह पाती थी। चाचू की चोदने की बेचैनी मुझसे भी नहीं देखी जा रही थी। मेरी भी चुदवाने की बेचैनी चाचू की तरह बढ़ रही थी। चाचू को मौक़ा मिला तो चाचू मेरे पास आका लेट गए। मै चाचू के साथ उन्ही के बिस्तर पर लेटी थी।
चाचू ने मुझे अपने से चिपका लिया। ये तो चाचू के लिए आम बात थी। क्योंकि वो तो मुझे अक्सर अपने से चिपका कर ही प्यार करते थे। मै चाचू से चिपकी हुई थी। चाचू का लौड़ा मेरी गांड़ में चुभ रहा था। चाचू अपना लौड़ा जानबूझ कर मेरी गांड में चुभा रहे थे। मुझे चाचू का लौड़ा मुझे अपनी गांड़ में लगवाना बहुत ही अच्छा लग रहा था। चाचू मुझसे बात भी कर रहे थे।
मै-“चाचू कुछ पीछे चुभ रहा है”
चाचू-“कुछ नहीं बेटा। कहाँ चुभ रहा है?”
मैंने अपना हाथ चाचू के लौड़े पर रख दिया। चाचू यही चुभ रहा है।
चाचू-“बेटा ये तो मेरा लौड़ा है। ये कैसे चुभ रहा है तुम्हे। इसके चुभने से तो मजा आता है”
मै-“इसके चुभने से मजा कैसे आता है”
चाचू-“नमिता इसे मै बता नहीं सकता। अगर कर के देख लो तो खुद ही पता चल जायेगा”
मै-“चाचू करना क्या होगा हमे। हमे मजा चाहिए आज”
चाचू-“ठीक है फिर जैसा मै करूं करने देना। कुछ रोकना मत। नहीं तो सारा मजा किरकिरा हो जायेगा”
मै-” ठीक है चाचू जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी”
इतना कहते ही चाचू मेरे होंठो पर अपनी होंठ रख कर चूंसने लगे। मै भी चाचू के कहने के अनुसार उनका साथ देने लगी। मैने भी चाचू के होंठ पर होंठ रगड़ कर चूमने चूंसने लगी। मैंने चाचू को कस कर पकड लिया।
चाचू ने कहा-“तुम तो सब कुछ जानती हो। तुम बहुत अच्छे से किस कर रही हो। कहाँ से सीखी तुमने?”
मै-“चाचू आप के फोन में ब्लू फिल्म देख कर। मै रोज आपके फ़ोन में देखती थी”
चाचू-“पगली वो मै जान बूझकर डलवाता था। तेरे लिए। अगर तू देखेगी तभी तो सीखेगी”
मै-“चाचू मै सीख चुकी हूँ। लेकिन अभी तक किया नहीं था। तो आज आप करना भी सिखा दोगे”
मै चाचू की गले को कस कर पकडे हुई थी। चाचू ने अपना होंठ फिर से मेरे होंठ पर सेट करके मेरे होंठो की जबरदस्त चुसाई करने लगे। मैंने चाचू की होंठ को चूस चूस कर काला कर दिया। चाचू ने भी मेरे होंठ को चूस चूस कर लाल लाल खून की तरह कर दिया। चाचू की होंठ चुसाई से बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे।
चाचू तो होंठ चुसाई में माहिर थे। वो मेरी जीभ को भी चूस रहे थे। मुझे बहुत कुछ चाचू से सीखने को मिल रहा था। चाचू मेरे होंठ को काट काट कर चूस रहे थे। चाचू की होंठ चुसाई का बहुत ही आंनद प्राप्त जो रहा था। आज मुझे पहली बार होंठ चुसवाने का मौका मिला था। मै अपने होंठ को चुसवाते चुसवाते थक गई। मैंने अपना सर चाचू से दूर किया। मेरे मुँह से गर्म गर्म साँसे निकल रही थी। मेरा गाल लाल लाल हो गया। मै गरम हो रही थी। मेरे गरम होते ही चाचू मेरे चूंचियों पर हाथ रख कर। मेरी चूंचियों को मसलने लगे। मै और ज्यादा जोश में आ रही थी। चाचू के चूंचियां दबाते ही मेरे मुँह से सिसकारियां निकल जाती। मै धीऱे धीऱे से “….अई…अई…. अई….अई….उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह…” की आवाज के साथ मैं अपनी चूंचियां दबवा रही थी। मैंने काले रंग की टी शर्ट और सफ़ेद रंग की पैंट पहन रखी थी। मेरे इस तरह के रंग को देख कर चाचू को बहुत जोश आ रहा था। मै काले कपड़े में बहुत ही हॉट और सेक्सी लगती हूँ।
मैंने उस दिन चाचू मुझे आज बहुत ही हवस के नजरो से देख रहे थें। मैं चाचू से डरने लगी। मेरा हाथ चाचू के लौड़े पर था। चाचू का बड़ा मोटा लौड़ा छूकर मुझे डर लगने लगा। चाचू ने मेरी टी शर्ट निकाल दिया। मै अब चाचू के सामने ब्रा में खड़ी थी। मुझे चाचू के सामने ऐसे रहने में शरम आ रही थी। मै अपनी नजरे झुकाए हुए चाचू के सामने खड़ी थी। चाचू ने मेरा सर ऊपर करके मुझे देखने लगे। चाचू मेरी चूंचियों को ऊपर से ही मसल रहे थे। मैं अपनी चूंचियो को दबवाने में मस्त थी। मेरी चूंचियां बहुत ही सॉफ्ट है। चाचू मेरे मुलायम चूंचियों को जल्दी जल्दी मसल रहे थे। चाचू ने मेरी ब्रा की हुक पीछे से खोल दी। चाचू के ब्रा के हुक खोलते ही मेरी ब्रा ढीली हो गई। मैंने अपनी ढीली ब्रा को निकाल दिया। चाचू मेरे चूंचियों को पीने लगे। चाचू मेरी दोनों चूंचियों को अपने हाथों में लेकर खेल रहे थे। चाचू मेरी मुलायम चूंचियों की बड़ी तारीफ़ कर रहे थे। चाचू मेरी दोनों चूंचियों को बारी बारी से पी रहे थे। मैंने चाचू के लौड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया। चाचू मेरे मम्मो को अच्छे से चूस रहे थे। मुझे अपने चूंचियो को चुसाना बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने चाचू का सर अपने चूंचियो में दबा लिया। चाचू के चूंचियो के पीने से मेरी जान निकल रही थी। चाचू जैसे ही अपना जीभ मेरी चूंचियों के निप्पल पर लगाते। मेरी साँसे तेज हो जाती। मै “उ उ उ उ उ…अ अ अ अ अ आ आ आ आ….सी सी सी सी…ऊँ…ऊँ…ऊँ…” चाचू मेरी चूंचियो को काट रहे थे। मेरी चूंचियों का रसपान चाचू ने अच्छे से करके मेरी चूंचियो से खेलना शुरू किया। चाचू मेरी चूंचियों के निप्पल को पकड़ कर खींचते रहते थे। चाचू का ये खेल मेरी चीखे निकाल देता था। चाचू ने मेरी चूंचियो से खेलना बंद किया। चाचू ने मुझे उठाया। चाचू अब मेरी पैंट को खोल रहे थे। चाचू ने मेरी पैंट को खोल कर निकाल दिया। मुझे अब तो और शर्म आ रही थी। मै चाचू के सामने सिर्फ पैंटी में ही खड़ी थी।
चाचू की नजर मेरी पैंटी पर ही टिकी थी। चाचू मेरी पैंटी को भी निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। मुझे शर्म आ रही थी। तो मैंने अपना हाथ अपनी पैंटी पर चूत के ऊपर रख लिया। चाचू ने मेरी पैंटी निकाल दी। मै चाचू के सामने अब एक दम से नंगी खड़ी थी। छाचू ने मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए। मेरी चूत पर रखे हाथ के ऊपर हाथ रख दिया। चाचू ने धीऱे धीऱे से अपना मेरा हाथ मेरी चूत से हटाया। चाचू अपनी उँगलियों से मेरी चूत को डाल रहे थे। मै बहुत ही जोश में आ रही थी। चाचू ने अपनी दो अंगुलिया मेरी चूत में डाल दिया। मै “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज निकालने लगी।
मुझे अपने कान से आग की लपट निकलने का एहसास होने लगा। मैंने अपना हाथ चाचू के लंड पर रख कर चाचू का लौड़ा दबाने लगी। चाचू ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मैं बिस्तर पर लेट गई। चाचू ने मेरी दोनों टांगे खोल दी। चाचू मेरी चूत के अच्छे से दर्शन कर लिया। मेरी चूत सावली है। चाचू ने अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया। चाचू के मुह चूत पर लगाते ही मैं झड़ गई। चाचू ने अपना जीभ मेरी चूत को चाटने में लगा दिए। चाचू की जीभ मेरी चूत को चाट चाट कर अच्छे से साफ़ कर रहे थे। मैंने भी चाचू का सर अपनी चूत में कस कर दबा लिया।
चाचू ने मेरी चूत से बहते पानी को पीकर अपना प्यास बुझाने लगे। चाचू की प्यास बढ़ गई। चाचू ने अपनी जीभ को और जल्दी जल्दी मेरी चूत पर चलाने लगे। मै तो गर्म हो के मरी जा रही थी। चाचू की जीभ के रगड़ ने मेरी चूत को आग की तरह गर्म कर दिया। चाचू ने अपनी जीभ मेरी चूत के भीतर लंबी करके डालने लगे। चाचू की जीभ मेरी चूत में घुसकर सारा माल चाट कर साफ़ कर दिया। चाचू ने मुझे अपनी पैंट निकाल कर। अपना लौड़ा थमा दिया। मै चाचू के लौड़े को अपने दोनों हाथों से पकडे हुई थी। चाचू का लौड़ा बिलकुल रॉड की तरह टाइट था। लौड़ा छूते ही बहुत गर्म होने क़्क़ एहसास हो गया। चाचू का लौड़ा मेरी चूत में घुसने को तैयार खड़ा था।
चाचू ने अपना लौड़ा मेरी मुँह में रख दिया। मैं चाचू का लौड़ा चूसने में मस्त हो गई। चाचू ने अपना 10 इंच का लौड़ा मेरी मुँह में ठूंस कर भर दिया। मेरा गला फटा जा रहा था। मैंने चाचू का लौड़ा अपने मुँह से निकाला। चाचू के लंड का टोपा मै चूस रही थी। चाचू के लंड का टोपा चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। चाचू के लौड़े की दोनों गोलियां मै टॉफी की तरह मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने चाचू की गोलियों को खूब मजे ले ले कर चूसा। चाचू को भी अपनी लौड़े की गोलियां चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने चाचू की गोलियों को चूसना बंद किया। चाचू ने मेरी दोनों टांगों को खोल दिया। चाचू ने अपना लौड़ा मीठी चूत पर रख कर पट पट मेरी चूत पर मार रहे थे। मुझे चूत की इस तरह से खातिरदारी में बहुत मजा आ रहा था। चाचू अपना लौड़ा मेरी चूत में रगड़ कर मुझे चुदने को तड़पा रहे थे। मै अब चुदने को बहुत ही तड़पने लगी। मैं अपनी चूत को मसल रही थी। चाचू ने कुछ देर बाद अपना लौड़ा मेरी चूत में डाला। मै दर्द से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ..ऊँ…उनहूँ उनहूँ.की आवाज मेरी मुँह से निकल गई।मैं अपने को कण्ट्रोल नहीं कर पा रही थी। चाचू ने फिर से धक्का मारा इस बार चाचू का पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया।
मै जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने अपनी सील बहुत पहले ही गाजर डाल कर तोड़ ली थी। मैंने चाचू को बताया। चाचू तो चोदने में मस्त थे। मैंने चाचू का लंड अंदर तक लेने लगी। चाचू भी लपा लप अपना लौड़ा अंदर बाहर कर रहे थे। मैंने चाचू के लौड़े से अपनी कमर उठा उठा कर के चुदवाना शुरू किया। आधा लौड़ा चाचू डालते चूत में आधा मै अपनी कमर उठा के डाल लेती थी। चाचू अब मुझे जल्दी जल्दी चोद रहे थे। मुझे भी कमर उठा उठा कर चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपनी कमर को हवा में उछाल उछाल कर चुदवाना शुरू किया।
चाचू ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया। चाचू अब मुझे हवा में उछाल उछाल कर चोद रहे थे। मुझे फूल जैसे अपने हाथों में पकडे लंड को चूत में फिट करके जबरदस्त चुदाई कर रहे थे। मुझे ऐसी चुदाई में बहुत मजा आ रहा था। चाचू मुझे झूला झुला कर चोद रहे थे। मैंने चाचू का गला बहुत ही तेजी से पकड़ लिया। चाचू की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी। चाचू की पैसेंजर अब मेल बन चुकी थी। मुझे वो जल्दी जल्दी हवा में उछाल कर चोद कर आनंद ले रहे थे।
चाचू ने मुझे फिर से बिस्तर पर लिटा दिया। चाचू ने मेरी दोनों टाँगे मोड़ कर मेरे कान के पास कर दी। चाचू का लौड़ा अब बड़ी आसानी से मेरी चूत के छेद पर लग गया। चाचू ने जोर का झटका मार कर एक ही बार में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया।
मै जोर से चीखने लगी। “…उंह उंह उंह..हूँ..हूँ…हूँ…ह मममम अ हह्ह् ह्हह …अई….अई…अई…” की चीख निकाल ली चाचू ने। मुझे अब और ही ज्यादा मजा आने लगा।
मैंने चाचू से कहा-“चाचू मैं झड़ने वाली हूँ”
चाचू-“झड़ जाना थोड़ा रुको”
लेकिन मुझे कंट्रोल नही हुआ। मैंने अपना सारा माल निकाल दिया। मेरा माल निकलते ही चाचू के लंड की भी चुदाई तेज होने लगी। मैंने अपना पानी निकाल दिया। चाचू भी झड़ने वाले हो गए। उन्होंने अपना लौड़ा निकाल कर मेरी मुँह में रख दिया। जोर जोर से मुठ मार कर चाचू ने अपना पूरा माल मेरे मुँह में गिरा दिया। मैंने चाचू का साऱा माल अपने मुँह में भर कर लेटी थी। चाचू ने कहा-“यही तो है इतनी तपस्या का फल।
आशीर्वाद समझ कर पी जाओ”
मैं चाचू के लंड का सारा माल पी गई। फिर बाद में चाचू ने मेरी गांड़ भी फाड़ी। अब तो हम जहां भी मौक़ा पाते हैं। बॉथरूम में भी चुदाई करते हैं। मौक़ा मिलते ही हम कही भी चुदाई कर लेते हैं। कहानी आपको कैसे लगी
सेक्सी पड़ोसन की चुदाई कर बाप बना, Sex Story, सेक्स कहानियाँ
Padosan Sex Story : हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का HeloSex.Com में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक
रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही
पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि
यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
मेरा नाम ओम प्रकाश है। मैं बस्ती के करीब एक गाँव में रहता हूँ । मेरी उम्र 24 साल है। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मेरा रंग गोरा है। मेरे लंड की लंबाई 9 इंच है। जिससे मैं अब तक कई लड़कियों को चोद चूका हूँ। मैं देखने में बहुत सुन्दर सभ्य और सुशील लड़का हूँ। लेकिन मैं जैसा दीखता हूँ। वैसा मै हूँ नहीं। लड़कियों को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। लड़कियों को चोदने की तड़प हमेशा मुझमे बरकरार रहती है। मेरा 9 इंच का लौड़ा हमेशा घुसने को तैयार रहता है। लडकियां भी मुझे पसंद करती हैं। कभी कभी मेरा लंड इतना बड़ा हो जाता है। मेरा लंड चोदने के लिए चैन को फाड़कर बाहर निकलने की कोशिश करने लगता है। एक बार मेरा लंड खडा होने के बाद गिरने का नाम ही नहीं लेता। अपना सारा माल निकालने के बाद ही शांत होता है। मुझे लड़कियों को बड़े बड़े चुच्चे बहुत ही अच्छे लगते हैं। लड़कियों की निकली हुई गांड मेरे लंड में आग लगा देती हैं। देखते ही मेरा लौड़ा गरम हो जाता है।
दोस्तों मै एक मिडिल क्लास फैमिली का हूँ। मेरे पापा किसान है। मैं दो भाई और दो बहन हूँ। पैसा न मिल पाने पर मुझे पढाई छोड़ना पड़ा। एक दिन मेरे घर मामा जी आये हुए थे। तो उन्होंने पूंछा- क्या कर रहे हो इस समय? तो मैंने अपने स्थिति के बारे में सबकुछ सच – सच बता दिया। मामा जी गुस्सा होने लगे और कहने लगे। तुम हमें एक बार भी ये सब नहीं बता सकते थे। इस उम्र में पढ़ाई छोड़ रहे
हो। मेरे मामा जी एक इंजीनियर है। उनका घर लखनऊ में है। मम्मी से बात करके मामा अपने साथ मुझे लखनऊ ले आये। अब मैं लखनऊ से ओ’लेवल कर रहा हूँ। साथ ही साथ में बैंक की तैयारी भी कर रहा हूँ। यहाँ लखनऊ में भी मैंने कई लड़कियों को पटा कर चोदा है। लेकिन दोस्तों जितना मजा मुझे बिमला भाभी को चोदने में आया। उतना अभी किसी को भी चोदने में नही आया। सच दोस्तों मैं ये सच्ची घटना लिख रहा हूँ। जो मेरे साथ हुई है। दोस्तों विमला भाभी मेरे मामा के घर के बगल ही रहती है। और वो मेरी पड़ोसन है । मैं जब भी उन्हें देखता।
मेरे अंदर सेक्स का का कीड़ा काटने लगता। मेरा लंड खड़ा हो जाता। विमला भाभी बहुत ही मस्त लगती थी। उनका छरहरा बदन को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाता था। मेरे मामा का घर उनका घर एकदम सटा के बना है। वो कपड़े को सूखने के लिये छत पर फैला जाती थी। मुझे छत पर उनकी ब्रा और पैंटी से खेलने का मौका मिल जाता था। मै अपनी छत से उनके छत पे जा के उनके ब्रा और पैंटी के साथ खेलते हुए मुठ मारता। और सारा माल उनकी ब्रा और पैंटी पर गिरा आता था। उनके पति को हम भैया कहते है। वो मेरे अच्छे दोस्त भी है। मैं जब घर के बाहर होता था। तो अक्सर वो अपने घर बुला लेते थे। मै भी भाभी के चक्कर में उनके घर जाता था। मेरी नजर तो भाभी की बूब्स पर अटकी रहती थी।मैं उनके टाइट ब्लाउज में उनके दोनों चूंचियों कक गड्ढा कभी कभी दिख जाता था। मैंने एक दिन भाई से उनकी फैमिली प्लानिंग के बारे में पूंछा। तो भाई साहब ने बताया। हमे कभी कुछ दिन बाद बच्चा चाहिए लेकिन भाभी का चेहरा तो कुछ और कह रहा था।मै समझ गया कि कुछ गड़बड़ है एक दिन भाई साहब खूब शराब पी के आये हुए थे। हर रोज की तरह शाम को जब मैं घर से निकला तो उन्होंने बुला लिया। मैं जब उनके घर के अंदर गया तो पता चल गया। भाई साहब ने शराब पी रखी है। मैं तुरंत वापस होने ही वाला था कि वो बुला लिए और बैठने को कहा। मै बैठ गया। वो भाभी को गाली देने लगे आवारा साली एक बच्चा नहीं पैदा कर सकती।
मैंने कहा भाई आपने कहा था। आपको अभी बच्चा ही नहीं चाहिए। फिर अचानकप्लान क्यूँ बदल दिए ? वो बोले- क्या बताऊँ यार मैंने बहुत बार कोशिश की लेकिन होता ही नहीं। मैंने उन्हें भरोषा दिया की परेशान न हो कोशिश करते रहो सब ठीक हो जायेगा। हम पूंछे भाभी कहाँ है दिख नहीं रही। तब उन्होंने बताया कि वो अपने रूम में है। मैंने पूंछा – क्या हुआ तबियत तो ठीक है? बोले जाके खुद ही देख लो, मै भाभी के रूम में गया और देखा भाभी नंगी लेटी थी। हमे लगता है कि भाई ने अभी चोद के निकले थे। मैंने सोचा अब क्या करूँ? कैसे जाऊं! उनके पास। फिर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने जोर से भाभी को बुलाया भाभी बोली – तुम वही रुको मैं आ रही हूँ और मै वापस आ गया फिर भाभी जी आयी और बोली- क्या हाल है ओम प्रकाश? मैंने कहा – ठीक है भाभी बस आपको देखा नहीं था। तो सोचा मिल ले फिर जाएँ। भाभी बोली – मैं भी सोच रही थी अब तक तुम आये क्यों नहीं कुछ दिन से तो तुम हर रोज आते थे। मेरे दिमाग में बस भाभी का नंगा बदन ही घूम रहा था। मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था। मै बार बार अपने लंड पर हाथ लगा कर नीचे करने की कोशिश कर रहा था। भाभी ये सब देख रही थी।
मैं जल्दी से वहां से भाग कर छत पर आ गया। मै रोज की तरह आज भी मुठ मार के माल उनके ब्रा पे गिराया ही था। कि हमे किसी के आने की आवाज लगी और मैं वहां से भाग लिया। दीवाल के छेद में से देखने लगा। भाभी अपनी कपड़ो को उतारने आयी थी। जब वो उठाने लगी तो मेरा माल उनके हाथ में लगा। माल तो मैं हर रोज गिराता था। लेकिन मैं जल्दी शाम को मुठ मार जाता था आज देर कर दीं थी। उनके हाथ में गीला लगने की वजह से बोली आज गीली क्यों रह गयी। आज धूप भी तो तेज थी। अपनी पैंटी को वो सूंघने लगी शायद उनके पता चल गया कि कोई उनकी पैंटी पे माल गिरा गया है । वो अपनी पैंटी को सूंघते हुए नींचे चली गयी। दूसरे दिन मैं उनके घर नहीं गया। तीसरे दिन ओम प्रकाशवार था। भैया आज पूरा दिन घर पर थे। मेरी भी छुट्टी थी। मैं घर से मामा ने कुछ सामान लेने को भेजा था। तो मैं घर से निकला ही था कि बाहर गेट पे दोनो लोग खड़े थे। मुझे जाता देख कर बोले कल नही आये तुम – मैंने जबाब दिया बस वैसे ही। भैया बोले – चंडीगढ़ चलोगे? मैंने कहा नहीं मेरी पढाई चल रही है। तो वो बोले – हम कल चंडीगढ़ चले जायेंगे। मेरे घर पर कोई नहीं होगा तो रात को तुम मेरे घर पे ही सो जाना।
दोस्तों मै इतना खुश हो गया। कि मानो मेरे ऊपर खुशियों की बारिश होने लगी हो। मैंने कहा ठीक है देखते है। अगर मामा कहेंगे तो लेट जायेंगे। लेकिन सच दोस्तों मैंने ये बहाना बताया था। अगर मामा हमे रोकते भी तो ये मौकाहाथ से जाने नहीं देता। भैया ने कहा -जब कभी हम घर पर नहीं होते थे। तो
तुषार मेरे घर पे लेटता था। दोस्तों तुषार मेरे मामा का लड़का है। फिर भी हम तुम्हारे मामा से कह देंगे। दोस्तों मै अब यही सोच रहा था। कि कब दूसरा दिन आ जा जाये। भाभी को चोदने की तरकीब रात भर सोचता रहा। मै रात भर सो न सका यही सोचता रहा । लेकिन अब मेरे खुशियों का दिन आ ही गया। भाई सुबह – सुबह ही निकल लिए। मै रात को लगभग 10 बजे उनके घर गया। तो देखा मेरा अब तक इंतजार कर रही थी। उन्होंने पूंछा- कहाँ लेटना चाहोगे तुम ? मैंने कहा – कही भी फिर कहने लगी की तुम मेरे बगल में भैया केरूम में लेट जाओ। मैंने कह तो दिया ठीक है। लेकिन मैं यही सोचता रहा की कैसे चोदूं इन्हें! और मै भैया के रूम में लेट गया। लेकिन मैंने दरवाजाखुला छोड़ दिया था। मुझे लगा की भाभी भी अपने रूम में चली गयी होगी। लेकिन हमें क्या पता वो हमें ही चुपके से देख रही है। मै मुठ मार रहा था भाभी ने देखा था। हमे बाद में पता चला जब रात को मैं 1 बजे लेटा था। तो बिल्ली ने कुछ गिरा दिया था।
भाभी और हम दोंनो लोग चौंक गये। भाभी हमारे रूम में आयी और बोली – क्या हुआ कुछ गिराया है तुमने? मैंने बोला -नहीं फिर हम लोग घर में देखने लगे कुछ नहीं था। भाभी डर गयीं थी। हम डरने का नाटक कर रहे थे। मै बोला – भाभी हमे बहुत डर लग रहा है। वो बोली – हमे भी मैंने कहा मन ही मन अपना तो काम हो रहा है। फिर मैंने कहा- “हम जा रहे है घर तुम भी चलो हमारे यहाँ मामी के पास लेट जाओ। भाभी बोली – घर कैसे छोड़ के चले। मैंने कहा- फिर क्या करें हम लोग। रात भर जागेंगे तो सुबह हमे पढ़ने भी तो जाना है। तो भाभी बोली “क्यूँ ना हम लोग एक काम करें ‘ मैंने पूंछा – क्या ,भाभी बोली हम लोग एक ही रूम में लेट जाएं। सुनते ही मेरा दिल खुश हो गया और मैंने कहा ठीक है। हम भाभी के रूम में भाभी के बिस्तर पे लेट गए। भाभी बोली तुम यहाँ लेट जाओ मै सोफे पे लेट जाती हूँ । मैंने कहा क्यूँ ? इतना बड़ा बेड है। आप सोफे पे लेटेंगी इससे अच्छा है। हम ही सोफे पे लेट जाते है । भाभी को किसी तरह से बेड पे लिटा लिया। अब वो मेरी तरफ देख रही थी। मैं भी देख रहा था। कुछ देर देखने के बाद भाभी बोली- तुम जितने मासूम दिखते हो उतने हो नहीं। मैंने कहा क्यूँ मै तो बहुत सीधा साधा लड़का हूँ। वो बोली हमे पता है जितने सीधे हो तुम ? मैंने कहा-जो कुछ भी कहना है साफ-साफ कहो। तो वो पूंछने लगी कोई गर्लफ्रैंड है
तुम्हारी ? मैंने कहा मैं ये सब नहीं करता। भाभी बोली – तो क्या तुम अभी तक मुठ ही मारते हो। मैंने कहा ये क्या कह रही हैं आप ! बोली आज तुम जब मुठ मार रहे थे। तो मैने देखा था अब मैं क्या करूँ। फिर मैंने कहा कभी – कभी मार लेता हूँ। जब कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं। तो भाभी बोली अभी तक तुमने सेक्स नहीं किया। मैंने कहा – नही और फिर मै चुप हो गया।
मैंने कहा भाभी एक बात पूंछे भाभी ने कहा – हाँ। मैंने पूंछा आपको अभी कोई बच्चा क्यों नहीं है ? वो कुछ ना बोली और चुप हो गयी। मैंने कहा भाभी मैंने तो आपको सब कुछ बता दिया। अब तुम क्यों नहीं बता रही । वो बोली
क्या बताएं ओम प्रकाश तुम्हारे भैया है। उनके साथ ठीक से सेक्स नहीं हो पाता। इसीलिए आज तक हमे कोई बच्चा नहीं है । मैंने कहा- तब तो आपको कभी बच्चा नहीं होगा। उन्होंने कहा -शायद मैं कभी माँ न बन पाऊँ। रोने लगी मैंने
उन्हें चुप कराया। उनके हाथ को हाथ में ले लिया। और उनका हाथ छूते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे भाभी को जल्दी से चोदने कक मन करने लगा। भाभी की तरफ मैं खिसक के चिपक गया। मैंने भाभी की होंठों पर किस किया। भाभी ने मेरा विरोध नही किया। मुझे रास्ता साफ़ नज़र आने लगा। भाभी भी चुदवाना चाहती थी। मैंने उनकी लाल होंठो को चूसने लगा। भाभी भी मुझे किस कर रही थी। मैंने भाभी की बूब्स को दबाया। कुछ देर बाद जब मैंने भाभी की नाइटी उतारनी चाही। तो भाभी बोली – मेरी एक शर्त गई मैं तुम्हारे साथ सैक्स करूंगी। तुम हमे माँ बनाओगे।
मैंने कहा किसी को पता चल गया। तो क्या होगा। वो बोली- हम दोनों के अलावा जानता ही कौन है। मैंने कहा ठीक है। लेकिन अभी नहीं भैया के आने के बाद तुम्हे माँ बना दूंगा। भैया को लगे उन्ही ने तुम्हे प्रेग्नेंट किया है। भाभी ने कहा ठीक है जब तुम्हारे भैया ऑफिस चले जायेंगे तब तुम मुझे चोदना। मैंने कहा- ठीक है। लेकिन आज तो सेक्स करने दो। भाभी बोली- अब से ये चूत तुम्हारे नाम और
मुझे किस करने लगी। मै भी जोर से किस कर रहा था। बीच -बीच में उनके होंठो को काट रहा था मैंने उनका होंठ चूस के लाल कर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे कमल की पंखुड़ियां हो फिर मैं धीरे – धीरे उनके मम्मे दबाने लगा। वो गर्म हो गयी। सिसक सिसक कर गर्म गर्म सांसे छोड़ने लगी। मैंने उनकी नाइटी उतार दी। ब्रा निकाल के मम्मे को आजाद कर दिया। अब मैंने पूरा शरीर देखने लगा। फिर मैंने भाभी की पैंटी उतार दी। पैंटी उतारते ही मुझे भाभी के चूत के दर्शन हो गए।
मैंने अपना पैजामा निकाल दिया। लंड को निकल लिया। वो मेरे लंड को देखते ही पागल हो गयी। बोली मुठ मार के कितना बड़ा कर लिया है।मैंने अपना लंड भाभी के सामने करके भाभी से चुसवाने लगा। भाभी मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। अब तक वो झड़ के चूत गीली कर ली थी। चूत से पानी बहकर बाहर आ रहा था। मैंने भाभी की चूत का सारा पानी चाट लिया। भाभी की चूत को चाटते में बहुत मजा आ रहा था। मैं भाभी की चूत को अच्छे से पी रहा था। भाभी के चूत के काले दाने को बीच बीच में काट रहा था। भाभी सी… सी… सी… करके। भाभी कहने लगी- “ ओम प्रकाश भाई! अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा है. सी सी सी सी….प्लीस जल्दी से मेरी चुद्दी [चूत] में लंड डाल दो और जल्दी से चोदो!!” मै अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ कर भाभी को और गर्म कर रहा था। भाभी को ज्यादा तड़पता देख। मैंने देर न करते हुए लंड को चूत में डाल दिया। भाभी की चूत कुछ ज्यादा टाइट नहीं थी। मैंने जोर से धक्का मारा। मेरा पूरा लंड भाभी की छूट में घुस गया। मैं भाभी को चोदने लगा भाभी की मुह से सिर्फ चींखें निकल रही थी। उह आह ऊह्हा अह्ह्ह्ह ऐईइ ओह्ह्ह्हयेह्ह्ह्ह्ह नैईई ओह्…ह्ह्ह ओह्ह्..ह्ह…हा..आह्ह्ह् की आवाज निकाल रही थी। भाभी कुछ ही देर में बार बार झड़ने लगी। पूरी चूत का कचरा हो गया। मैंने उसी रात भाभी की गांड भी मारी। कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया।मैंने भाभी की गांड से लंड निकाल कर। भाभी की मुँह में सारा माल गिरा दिया। भाभी मेरा सारा माल पी गई। भाभी कहने लगी- इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया। फिर कुछ देर बाद सो गए नंगे ही हम दोनों सुबह उठते ही एक बार फिर चुदाई की। फिर मैं घर आ गया।
बाद में मैंने भैया के आने के बाद चुदाई की और भाभी कोमाँ बना दिया। भाई को लग रहा है। उनका बेटा है। अब मैं जब भी जाता हूँ। भाभी के साथ एक बार चुदाई जरूर करता हूँ। भाभी को भी मुझसे चुदवाकर बहुत मजा आया। कहानी आपको कैसे लगी
मेरा नाम ओम प्रकाश है। मैं बस्ती के करीब एक गाँव में रहता हूँ । मेरी उम्र 24 साल है। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मेरा रंग गोरा है। मेरे लंड की लंबाई 9 इंच है। जिससे मैं अब तक कई लड़कियों को चोद चूका हूँ। मैं देखने में बहुत सुन्दर सभ्य और सुशील लड़का हूँ। लेकिन मैं जैसा दीखता हूँ। वैसा मै हूँ नहीं। लड़कियों को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। लड़कियों को चोदने की तड़प हमेशा मुझमे बरकरार रहती है। मेरा 9 इंच का लौड़ा हमेशा घुसने को तैयार रहता है। लडकियां भी मुझे पसंद करती हैं। कभी कभी मेरा लंड इतना बड़ा हो जाता है। मेरा लंड चोदने के लिए चैन को फाड़कर बाहर निकलने की कोशिश करने लगता है। एक बार मेरा लंड खडा होने के बाद गिरने का नाम ही नहीं लेता। अपना सारा माल निकालने के बाद ही शांत होता है। मुझे लड़कियों को बड़े बड़े चुच्चे बहुत ही अच्छे लगते हैं। लड़कियों की निकली हुई गांड मेरे लंड में आग लगा देती हैं। देखते ही मेरा लौड़ा गरम हो जाता है।
दोस्तों मै एक मिडिल क्लास फैमिली का हूँ। मेरे पापा किसान है। मैं दो भाई और दो बहन हूँ। पैसा न मिल पाने पर मुझे पढाई छोड़ना पड़ा। एक दिन मेरे घर मामा जी आये हुए थे। तो उन्होंने पूंछा- क्या कर रहे हो इस समय? तो मैंने अपने स्थिति के बारे में सबकुछ सच – सच बता दिया। मामा जी गुस्सा होने लगे और कहने लगे। तुम हमें एक बार भी ये सब नहीं बता सकते थे। इस उम्र में पढ़ाई छोड़ रहे
हो। मेरे मामा जी एक इंजीनियर है। उनका घर लखनऊ में है। मम्मी से बात करके मामा अपने साथ मुझे लखनऊ ले आये। अब मैं लखनऊ से ओ’लेवल कर रहा हूँ। साथ ही साथ में बैंक की तैयारी भी कर रहा हूँ। यहाँ लखनऊ में भी मैंने कई लड़कियों को पटा कर चोदा है। लेकिन दोस्तों जितना मजा मुझे बिमला भाभी को चोदने में आया। उतना अभी किसी को भी चोदने में नही आया। सच दोस्तों मैं ये सच्ची घटना लिख रहा हूँ। जो मेरे साथ हुई है। दोस्तों विमला भाभी मेरे मामा के घर के बगल ही रहती है। और वो मेरी पड़ोसन है । मैं जब भी उन्हें देखता।
मेरे अंदर सेक्स का का कीड़ा काटने लगता। मेरा लंड खड़ा हो जाता। विमला भाभी बहुत ही मस्त लगती थी। उनका छरहरा बदन को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाता था। मेरे मामा का घर उनका घर एकदम सटा के बना है। वो कपड़े को सूखने के लिये छत पर फैला जाती थी। मुझे छत पर उनकी ब्रा और पैंटी से खेलने का मौका मिल जाता था। मै अपनी छत से उनके छत पे जा के उनके ब्रा और पैंटी के साथ खेलते हुए मुठ मारता। और सारा माल उनकी ब्रा और पैंटी पर गिरा आता था। उनके पति को हम भैया कहते है। वो मेरे अच्छे दोस्त भी है। मैं जब घर के बाहर होता था। तो अक्सर वो अपने घर बुला लेते थे। मै भी भाभी के चक्कर में उनके घर जाता था। मेरी नजर तो भाभी की बूब्स पर अटकी रहती थी।मैं उनके टाइट ब्लाउज में उनके दोनों चूंचियों कक गड्ढा कभी कभी दिख जाता था। मैंने एक दिन भाई से उनकी फैमिली प्लानिंग के बारे में पूंछा। तो भाई साहब ने बताया। हमे कभी कुछ दिन बाद बच्चा चाहिए लेकिन भाभी का चेहरा तो कुछ और कह रहा था।मै समझ गया कि कुछ गड़बड़ है एक दिन भाई साहब खूब शराब पी के आये हुए थे। हर रोज की तरह शाम को जब मैं घर से निकला तो उन्होंने बुला लिया। मैं जब उनके घर के अंदर गया तो पता चल गया। भाई साहब ने शराब पी रखी है। मैं तुरंत वापस होने ही वाला था कि वो बुला लिए और बैठने को कहा। मै बैठ गया। वो भाभी को गाली देने लगे आवारा साली एक बच्चा नहीं पैदा कर सकती।
मैंने कहा भाई आपने कहा था। आपको अभी बच्चा ही नहीं चाहिए। फिर अचानकप्लान क्यूँ बदल दिए ? वो बोले- क्या बताऊँ यार मैंने बहुत बार कोशिश की लेकिन होता ही नहीं। मैंने उन्हें भरोषा दिया की परेशान न हो कोशिश करते रहो सब ठीक हो जायेगा। हम पूंछे भाभी कहाँ है दिख नहीं रही। तब उन्होंने बताया कि वो अपने रूम में है। मैंने पूंछा – क्या हुआ तबियत तो ठीक है? बोले जाके खुद ही देख लो, मै भाभी के रूम में गया और देखा भाभी नंगी लेटी थी। हमे लगता है कि भाई ने अभी चोद के निकले थे। मैंने सोचा अब क्या करूँ? कैसे जाऊं! उनके पास। फिर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने जोर से भाभी को बुलाया भाभी बोली – तुम वही रुको मैं आ रही हूँ और मै वापस आ गया फिर भाभी जी आयी और बोली- क्या हाल है ओम प्रकाश? मैंने कहा – ठीक है भाभी बस आपको देखा नहीं था। तो सोचा मिल ले फिर जाएँ। भाभी बोली – मैं भी सोच रही थी अब तक तुम आये क्यों नहीं कुछ दिन से तो तुम हर रोज आते थे। मेरे दिमाग में बस भाभी का नंगा बदन ही घूम रहा था। मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था। मै बार बार अपने लंड पर हाथ लगा कर नीचे करने की कोशिश कर रहा था। भाभी ये सब देख रही थी।
मैं जल्दी से वहां से भाग कर छत पर आ गया। मै रोज की तरह आज भी मुठ मार के माल उनके ब्रा पे गिराया ही था। कि हमे किसी के आने की आवाज लगी और मैं वहां से भाग लिया। दीवाल के छेद में से देखने लगा। भाभी अपनी कपड़ो को उतारने आयी थी। जब वो उठाने लगी तो मेरा माल उनके हाथ में लगा। माल तो मैं हर रोज गिराता था। लेकिन मैं जल्दी शाम को मुठ मार जाता था आज देर कर दीं थी। उनके हाथ में गीला लगने की वजह से बोली आज गीली क्यों रह गयी। आज धूप भी तो तेज थी। अपनी पैंटी को वो सूंघने लगी शायद उनके पता चल गया कि कोई उनकी पैंटी पे माल गिरा गया है । वो अपनी पैंटी को सूंघते हुए नींचे चली गयी। दूसरे दिन मैं उनके घर नहीं गया। तीसरे दिन ओम प्रकाशवार था। भैया आज पूरा दिन घर पर थे। मेरी भी छुट्टी थी। मैं घर से मामा ने कुछ सामान लेने को भेजा था। तो मैं घर से निकला ही था कि बाहर गेट पे दोनो लोग खड़े थे। मुझे जाता देख कर बोले कल नही आये तुम – मैंने जबाब दिया बस वैसे ही। भैया बोले – चंडीगढ़ चलोगे? मैंने कहा नहीं मेरी पढाई चल रही है। तो वो बोले – हम कल चंडीगढ़ चले जायेंगे। मेरे घर पर कोई नहीं होगा तो रात को तुम मेरे घर पे ही सो जाना।
दोस्तों मै इतना खुश हो गया। कि मानो मेरे ऊपर खुशियों की बारिश होने लगी हो। मैंने कहा ठीक है देखते है। अगर मामा कहेंगे तो लेट जायेंगे। लेकिन सच दोस्तों मैंने ये बहाना बताया था। अगर मामा हमे रोकते भी तो ये मौकाहाथ से जाने नहीं देता। भैया ने कहा -जब कभी हम घर पर नहीं होते थे। तो
तुषार मेरे घर पे लेटता था। दोस्तों तुषार मेरे मामा का लड़का है। फिर भी हम तुम्हारे मामा से कह देंगे। दोस्तों मै अब यही सोच रहा था। कि कब दूसरा दिन आ जा जाये। भाभी को चोदने की तरकीब रात भर सोचता रहा। मै रात भर सो न सका यही सोचता रहा । लेकिन अब मेरे खुशियों का दिन आ ही गया। भाई सुबह – सुबह ही निकल लिए। मै रात को लगभग 10 बजे उनके घर गया। तो देखा मेरा अब तक इंतजार कर रही थी। उन्होंने पूंछा- कहाँ लेटना चाहोगे तुम ? मैंने कहा – कही भी फिर कहने लगी की तुम मेरे बगल में भैया केरूम में लेट जाओ। मैंने कह तो दिया ठीक है। लेकिन मैं यही सोचता रहा की कैसे चोदूं इन्हें! और मै भैया के रूम में लेट गया। लेकिन मैंने दरवाजाखुला छोड़ दिया था। मुझे लगा की भाभी भी अपने रूम में चली गयी होगी। लेकिन हमें क्या पता वो हमें ही चुपके से देख रही है। मै मुठ मार रहा था भाभी ने देखा था। हमे बाद में पता चला जब रात को मैं 1 बजे लेटा था। तो बिल्ली ने कुछ गिरा दिया था।
भाभी और हम दोंनो लोग चौंक गये। भाभी हमारे रूम में आयी और बोली – क्या हुआ कुछ गिराया है तुमने? मैंने बोला -नहीं फिर हम लोग घर में देखने लगे कुछ नहीं था। भाभी डर गयीं थी। हम डरने का नाटक कर रहे थे। मै बोला – भाभी हमे बहुत डर लग रहा है। वो बोली – हमे भी मैंने कहा मन ही मन अपना तो काम हो रहा है। फिर मैंने कहा- “हम जा रहे है घर तुम भी चलो हमारे यहाँ मामी के पास लेट जाओ। भाभी बोली – घर कैसे छोड़ के चले। मैंने कहा- फिर क्या करें हम लोग। रात भर जागेंगे तो सुबह हमे पढ़ने भी तो जाना है। तो भाभी बोली “क्यूँ ना हम लोग एक काम करें ‘ मैंने पूंछा – क्या ,भाभी बोली हम लोग एक ही रूम में लेट जाएं। सुनते ही मेरा दिल खुश हो गया और मैंने कहा ठीक है। हम भाभी के रूम में भाभी के बिस्तर पे लेट गए। भाभी बोली तुम यहाँ लेट जाओ मै सोफे पे लेट जाती हूँ । मैंने कहा क्यूँ ? इतना बड़ा बेड है। आप सोफे पे लेटेंगी इससे अच्छा है। हम ही सोफे पे लेट जाते है । भाभी को किसी तरह से बेड पे लिटा लिया। अब वो मेरी तरफ देख रही थी। मैं भी देख रहा था। कुछ देर देखने के बाद भाभी बोली- तुम जितने मासूम दिखते हो उतने हो नहीं। मैंने कहा क्यूँ मै तो बहुत सीधा साधा लड़का हूँ। वो बोली हमे पता है जितने सीधे हो तुम ? मैंने कहा-जो कुछ भी कहना है साफ-साफ कहो। तो वो पूंछने लगी कोई गर्लफ्रैंड है
तुम्हारी ? मैंने कहा मैं ये सब नहीं करता। भाभी बोली – तो क्या तुम अभी तक मुठ ही मारते हो। मैंने कहा ये क्या कह रही हैं आप ! बोली आज तुम जब मुठ मार रहे थे। तो मैने देखा था अब मैं क्या करूँ। फिर मैंने कहा कभी – कभी मार लेता हूँ। जब कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं। तो भाभी बोली अभी तक तुमने सेक्स नहीं किया। मैंने कहा – नही और फिर मै चुप हो गया।
मैंने कहा भाभी एक बात पूंछे भाभी ने कहा – हाँ। मैंने पूंछा आपको अभी कोई बच्चा क्यों नहीं है ? वो कुछ ना बोली और चुप हो गयी। मैंने कहा भाभी मैंने तो आपको सब कुछ बता दिया। अब तुम क्यों नहीं बता रही । वो बोली
क्या बताएं ओम प्रकाश तुम्हारे भैया है। उनके साथ ठीक से सेक्स नहीं हो पाता। इसीलिए आज तक हमे कोई बच्चा नहीं है । मैंने कहा- तब तो आपको कभी बच्चा नहीं होगा। उन्होंने कहा -शायद मैं कभी माँ न बन पाऊँ। रोने लगी मैंने
उन्हें चुप कराया। उनके हाथ को हाथ में ले लिया। और उनका हाथ छूते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे भाभी को जल्दी से चोदने कक मन करने लगा। भाभी की तरफ मैं खिसक के चिपक गया। मैंने भाभी की होंठों पर किस किया। भाभी ने मेरा विरोध नही किया। मुझे रास्ता साफ़ नज़र आने लगा। भाभी भी चुदवाना चाहती थी। मैंने उनकी लाल होंठो को चूसने लगा। भाभी भी मुझे किस कर रही थी। मैंने भाभी की बूब्स को दबाया। कुछ देर बाद जब मैंने भाभी की नाइटी उतारनी चाही। तो भाभी बोली – मेरी एक शर्त गई मैं तुम्हारे साथ सैक्स करूंगी। तुम हमे माँ बनाओगे।
मैंने कहा किसी को पता चल गया। तो क्या होगा। वो बोली- हम दोनों के अलावा जानता ही कौन है। मैंने कहा ठीक है। लेकिन अभी नहीं भैया के आने के बाद तुम्हे माँ बना दूंगा। भैया को लगे उन्ही ने तुम्हे प्रेग्नेंट किया है। भाभी ने कहा ठीक है जब तुम्हारे भैया ऑफिस चले जायेंगे तब तुम मुझे चोदना। मैंने कहा- ठीक है। लेकिन आज तो सेक्स करने दो। भाभी बोली- अब से ये चूत तुम्हारे नाम और
मुझे किस करने लगी। मै भी जोर से किस कर रहा था। बीच -बीच में उनके होंठो को काट रहा था मैंने उनका होंठ चूस के लाल कर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे कमल की पंखुड़ियां हो फिर मैं धीरे – धीरे उनके मम्मे दबाने लगा। वो गर्म हो गयी। सिसक सिसक कर गर्म गर्म सांसे छोड़ने लगी। मैंने उनकी नाइटी उतार दी। ब्रा निकाल के मम्मे को आजाद कर दिया। अब मैंने पूरा शरीर देखने लगा। फिर मैंने भाभी की पैंटी उतार दी। पैंटी उतारते ही मुझे भाभी के चूत के दर्शन हो गए।
मैंने अपना पैजामा निकाल दिया। लंड को निकल लिया। वो मेरे लंड को देखते ही पागल हो गयी। बोली मुठ मार के कितना बड़ा कर लिया है।मैंने अपना लंड भाभी के सामने करके भाभी से चुसवाने लगा। भाभी मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। अब तक वो झड़ के चूत गीली कर ली थी। चूत से पानी बहकर बाहर आ रहा था। मैंने भाभी की चूत का सारा पानी चाट लिया। भाभी की चूत को चाटते में बहुत मजा आ रहा था। मैं भाभी की चूत को अच्छे से पी रहा था। भाभी के चूत के काले दाने को बीच बीच में काट रहा था। भाभी सी… सी… सी… करके। भाभी कहने लगी- “ ओम प्रकाश भाई! अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा है. सी सी सी सी….प्लीस जल्दी से मेरी चुद्दी [चूत] में लंड डाल दो और जल्दी से चोदो!!” मै अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ कर भाभी को और गर्म कर रहा था। भाभी को ज्यादा तड़पता देख। मैंने देर न करते हुए लंड को चूत में डाल दिया। भाभी की चूत कुछ ज्यादा टाइट नहीं थी। मैंने जोर से धक्का मारा। मेरा पूरा लंड भाभी की छूट में घुस गया। मैं भाभी को चोदने लगा भाभी की मुह से सिर्फ चींखें निकल रही थी। उह आह ऊह्हा अह्ह्ह्ह ऐईइ ओह्ह्ह्हयेह्ह्ह्ह्ह नैईई ओह्…ह्ह्ह ओह्ह्..ह्ह…हा..आह्ह्ह् की आवाज निकाल रही थी। भाभी कुछ ही देर में बार बार झड़ने लगी। पूरी चूत का कचरा हो गया। मैंने उसी रात भाभी की गांड भी मारी। कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया।मैंने भाभी की गांड से लंड निकाल कर। भाभी की मुँह में सारा माल गिरा दिया। भाभी मेरा सारा माल पी गई। भाभी कहने लगी- इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया। फिर कुछ देर बाद सो गए नंगे ही हम दोनों सुबह उठते ही एक बार फिर चुदाई की। फिर मैं घर आ गया।
बाद में मैंने भैया के आने के बाद चुदाई की और भाभी कोमाँ बना दिया। भाई को लग रहा है। उनका बेटा है। अब मैं जब भी जाता हूँ। भाभी के साथ एक बार चुदाई जरूर करता हूँ। भाभी को भी मुझसे चुदवाकर बहुत मजा आया। कहानी आपको कैसे लगी
Wednesday, 20 September 2017
पड़ोस के कोठे पर पैसे देकर की रंडी की चुदाई, Sex Story, सेक्स कहानियाँ
हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का Helosex.com में बहुत बहुत
स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी
कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं
आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों
को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
मेरा नाम रिहान हैं। मेरी उम्र 27 साल की है। मेरा कद 6 फ़ीट है। मै देखने में कुछ खाश अच्छा नहीं लगता हूँ। लेकिन मैं एक जबरदस्त पर्सनालिटी का मालिक हूँ। मैं जब भी किसी बड़ी चुच्चे वाली लड़की को देखता हूँ। मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। मुझे लड़कियों की चूत चाटना बहुत अच्छा लगता है। मैंने अब तक कई लड़कियों की चूत चाट कर अपना लौड़ा चुसवाया है। मुझे अपना लौड़ा चुसवाने में भी बहुत मजा आता है। मेरे लौड़े की कई लड़किया दीवानी है। इसी लौड़े से मैंने अब तक कई लड़कियों की सीख तोड़ी है। इसी लंड की एक रंडी दीवानी हो गई। जो पहले पैसे लेकर चुदाती थी। लेकिन अब अपनी चूत मेरे लौड़े के लिए फ्री कर दिया। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों मैं एक मीडियम परिवार की फैमिली से हूँ। मेरे पापा एक जनरल स्टोर चलाते है। मेरे घर के सारे लोग अपना अपना बिज़नस संभालते है। मैं अकेला ही सबसे छोटा हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मेरे मम्मी पापा और दो बड़े भाई भी हैं। मेरे सारे बड़े भाई बाहर कमा रहे है। मै अभी तक तैयारी में जुटा था। लेकिन कहीं भी सेलेक्शन नही हो पाया। मै भी कब तक हर कर घर वापस आ गया। मैं भी अब अपने भाइयों के साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ। मेरे भाई हमेशा ही मुझे अपने पास आकर काम करने को कहते थे। लेकिन मुझे वहाँ मुझे पढ़ाई के साथ साथ चुदाई का भी आनंद मिलता था। इसलिए मै वहाँ से नहीं आना चाहता था।
लेकिन बड़े भैया ने जिद करके मुझे बुला लिया। मेरा मन घर पर नहीं लग रहा था। मुझे यहां चोदने को कोई मिलता हो नहीं था। कई दिनों तक मुठ मार मार कर काम चला रहा था। मैंने आखिर कर चूत की खोज करनी शुरू कर दी। एक दोस्त मिला मुझे जों की बचपन से जानता था मुझे। उससे मैंने सारी बात बताई। उसका नाम रमन था।
मैं-“यार रमन मन नहीं लगता यहाँ। कोई चोदने के लिए मिलता ही नहीं यहां”
रमन-“साला पैसा खर्च कर सब कुछ मिलता है”
मै-“पैसा खर्च करने पर चूत मिले। तो मैं कितना भी पैसा क्यों न खर्च हो कर दूंगा”
रमन-” चलो फिर आज शाम को पास के कोठे पर। दिखाता हूँ तुझे एक से बढ़कर एक माल”। जिसे देखते ही लंड खड़ा हो जाये”
शाम को मैं और रमन अपने घर से कोठे पर गए। मैंने पहली बार कोठे में प्रवेश किया।
रमन भी मेरे साथ था। रमन कह रहा था। भाई पहली बार मैं भी यहाँ आया हूँ। मैंने अंदर देखा तो देखता हो रह गया। एक से बढ़कर एक जबरदस्त माल की लाइन लगी हुई थी। किसको चोदूं समझ में ही नहीं आ रहा था। उनकी एक लीडर सामने ही बैठी थी। जो सारे लाडकियों को चोदने का रेट बता रही थी। मैंने सबसे टॉप क्लास की माल की तरफ गया। उसका दाम 3 हजार रुपया था। रमन ने भी एक माल उसी में से एक माल को निकाला। मैंने दिनों का पैसा दिया।
रंडियों की लीडर ने कहा-” सामने वाले कमरे में ले जाओ। संभाल कर चोदना। अभी ये दोनों ही नई है। बहुत ही नाजुक है”
मैंने हाँ करके सामने के कमरे में ले गया। वहाँ पहुच कर। मैंने दरवाजे में कुण्डी मारी।
मैंने उस रंडी से उसका नाम पूंछा। उसने अपना नाम सपना बताया। मैंने सपना का हाथ पकड़ा। सपना भी मेरे हाथ पकड़ कर बिस्तर की तरफ चल दी। मैंने बिस्तर पर ले जाकर सपना का हाथ छोड दिया। पूरा बिस्तर बिल्कुल सुहाग रात के दिन वाला कमरा लग रहा था।
मैंने पूंछा-” कमरे की इतनी सजावट है। लग रहा है सुहागरात वाला कमराहै”
सपना-“साहब यहां तो हर रोज सुहागरात मनाई जाती है। आज आप भी मनाने आये हैं। आप भी सुहागरात का मजा ले लीजिए”
मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी। कमरे की ऐसी सजावट नया नया बिस्तर उस पर बिखरे फूल। बिस्तर के चारो तरफ फूल लटक रहे थे। लग रहा था आज मैं सच में शादी की सुहाग रात मनाने जा रहा हूँ। पहली बार मैंने इतनी हॉट सेक्सी लड़की देखी थी। अब तो मेऱा मन सुहाग रात मनाने को मचल रहा था।
मैंने बिस्तर पर पड़े फूलों की खुसबूओं को सूंघ कर जोश में आ रहा था। सपना ने सारी और पतला वाला ब्लाउज पहना था। सपना के मम्मे बहुत ही अच्छे से दिख रहे थे। बस उसके निप्पल ही ढके हुए थे। मैंने अपना लौड़ा हाथ से दबाया। मेरा लौड़ा खड़ा होता ही चला जा रहा था। मैंने अब सपना की तरफ देखा। सपना ने मेरी तरफ देख कर कहा
सपना-” साहब जो भी करना है जल्दी करिए और भी ग्राहक आएंगे अभी”
मै-” करता हूँ ना। लेकिन ये बताओ क्या मिलता है तुम्हे ये सब करके। कही भीबतुम काम ढूंढ लो। वो करो इस तरह से क्या इज्जत मिलती है”
सपना-” जहां भीबकाम के लिए जाती थी। काम लार तो रख लेते थे। लेकिन सबका मकसद सिर्फ मुझे चोदना ही होता था। जब चुद के ही पैसा कमाना है। तो कम पैसा क्यूँ कमाऊं?”
मैंने कहा बात तो ठीक है। सपना सभी रंडियों जैसी खूब सजी धजी खड़ी थीं। मैंने सपना का हाथ पकड़ा। सपना को बिस्तर की तरफ खीच कर मैंने उसे अपने बाहों में ले लिया। सपना मेरी बाहों में लेट गई। मैंने सपना के चेहरे से बाल हटाया। सपना का बाल हटाकर उसके चेहरे को अच्छे से देखा। सपना बिल्कुल दूध की तरह गोरी गोरी दिख रही थी। देखने में उसका फेस कटिंग बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसकी आँखों में तो डूब ही जाने का मन करने लगा। उसकी काजल आँखों के किनारे निकल कर बाहर की तरफ आँखों को बहुत ही नुकीली बना रही थी। मैंने सपना की आँखों को देखकर उसकी नाक की तरफ देखा। उसकी नाक बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसके नाक की नथ उसकी नाक पर बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैंने अपना होठ उसकी होंठ पर देखते ही रख दिया। उसकी नाजुक होंठो को छूते ही मेरा लंड पैंट से बाहर आने को तड़पने लगा। मैंने आने होंठ को सपना के होंठ से सटा कर चूसने लगा।
उसकी होंठो का रस बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसकी होंठ को चूस चूस कर मैं रस पीने लगा। उसकी होंठो को पीते ही उसकी साँसे तेज होने लगी। वो सूं..सूं…. सूं… की आवाज अपनी मुँह से निकालने लगी। मैंने उसकी आवाज को सुना। उसकी आवाज सुनकर लगने लगा। की वो गरम होने लगी है। मैंने खूब होंठ चुसाई की उसकी। सपना भी मेरा होंठ चुसाई में पूरा साथ दे रही थी। मैने उसकी होंठो को चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। सपना को भी होंठ चुसाई में भरपूर आंनद मिल रहा था। मैंने सपना की ब्लाउज में हाथ डाल कर उसके मम्मो को निकाल दिया। मैंने अपना हाथ सपना की ब्लाउज में उसकी चूंचियों को दबाने में लगा रखा था। मैंने अपने दोनों हाथों से सपना की चूंचियों क़्क़ दबा दबा कर उसका भरता लगा रहा था। सपना की चूंचियो को दबाते ही सपना गरम होकर ऐंठने लगती थी। मैंने सपना की ब्लाउज की हुक खोली। सपना की चमकीले रंग की ब्लाउज बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैंने ब्लाउज निकालते ही सपना की चूंचियो के दर्शन मुझे उसकी ब्रा में हो गए।
सपना की ब्रा के दर्शन ब्लाउज में करते ही मैंने सपना की ब्रा को उतार दिया। सपना की ब्रा को निकालते ही उसके गोरे भूरे मम्मो के दर्शन ही गए। मैंने उसके गोरे भूरे मम्मो के दर्शन करके। अपना मुँह उसके निप्पल पर लगा दिया। उसके निप्पल को अपने मुँह में रख कर मैं चूसने लगा। निप्पल और उसके मम्मे बहुत ही सॉफ्ट थे। मैं अपने मुँह में उसके निप्पल को रखकर रुई की तरह दबा दबा कर पी रहा था। मैंने उसकी चूंचियो को दबा दबा कर काट काट कर पीने लगा। सपना की चूंचियों को काटते ही सपना अपने मुँह “….अई…अई….अई….अई …. उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह…” की आवाज निकालने लगती। मुझे सपना की चूंचियो को पीने में बहुत मजा आ रहा था। सपना की साड़ी भी मैंने उतार दी।
अपना अब सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने लेटी थी। सपना ने नीले रंग पेटीकोट पहना था। सपना बिस्तर पर तड़प रही थी चुदवाने को। मैने भी अपना लौड़ा निकाल लिया। चैन के बाहर मेरा लौड़ा निकला हुआ था। सपना अपनी आँख बंद करके लेटी थी। मैंने उसके पेटिकोट को ऊपर उठाया। उसकी पेटिकोट को ऊपर उठा कर मैंने उसकी पैंटी सहित उसकी चूत के दर्शन किया। सपना की चूत के किनारे एक भी बाल नही था। मैंने सपना की पेटीकोट का नाड़ा खोला। सपना की पेटीकोट का नाड़ा खोलते ही मैंने उसकी पेटीकोट निकाल दी। पेटीकोट के निकलते ही सपना पैंटी में हो गई। सपना को पैंटी में देखकर मैंने उसकी चूत को देखने की तडप होने लगी। मैंने सपना की चूत को देखने के लिए। मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी। सपना की पैंटी को निकाल कर मैंने दूर फेंका। मैंने भी अपने सारे कपडे निकाल दिए। हम दोनों ही अब नंगे ही थे।
सपना मेरे बड़े मोटे काटे लंड को देख रही थी। मैंने सपना की दोनों टांगो क़्क़ फैलाकर उसकी चूत के दर्शन किया। सपना की गोरी चूत को देखकर मेरा मन मचलने लगा। सपना की चूत को मैंने अपने मुँह में रख लिया। सपना की चूत जैसे ही मैंने अपने मुँह में भरी। सपना के मुँह से “आई… .आई…आई….अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की चीख निकलने लगी। मैंने सपना की चूत को चाट चाट कर चूसना शुरू किया। सपना की चूत को चाटने चूसने में बहुत मजा आ रहा था। सपना की चूत के दोनों टुकड़ो को मैं बारी बारी से काट काट कर चुसा रहा था। सपना भी मेरा सर अपनी चूत में दबाये हुए थी। मै उसकी चूत को अच्छे से पी रहा था। सपना की आँखे बंद थी। उसके मुँह से सिर्फ सिसकारियां निकल रही थी। मैंने सपना के चूत के दाने को काटना शुरू किया। सपना की चूत का दाना बहुत ही छोटा था। मैंने अपने दांतों से सपना के चूत के दाने को काट रहा था। दाने को काटते ही सपना “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज के साथ अपनी चूत चुसवाने में मस्त थी।
मैंने सपना की चूत में अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को चाट रहा था। मेरी जीभ लंबी होकर सपना की चूत की गहराइयों में जाकर उसकी चूत चाट रहा था। सपना की चूत ने पानी छोड़ दिया। सपना की चूत के पानी छोड़ते ही मैंने अपना जीभ लगाकर सारा माल चाट लिया। सारा माल चाटते ही मैंने अपना लौड़ा सपना कोड़े दिया। सपना मेरा लौड़ा चूसने लगीं। मेरे लौड़े को चूस चूस कर लंबा बड़ा और मोटा कर दिया। सपना मेरे लौड़े का सुपारा अपनी जीभ से आइसक्रीम की तरह चाट रही थी। मैंने अपना लौड़ा उसकी मुँह में पेल दिया। सपना मेरे लौड़े को बहुत ही अच्छे से चूस रही थी। मै अपना लौड़ा उसके गले तक पेल रहा था। कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से निकाल कर। सपना की टांगो को फैलाकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। सपना की चूत पर रगड़ते ही सपना गरम होकर तड़पने लगी। मैंने अपना लौड़ा सपना की चूत की नालियों में नीचे ऊपर कर रहा था। सपना मेरे लौड़े को अंदर लेने को तड़पने लगी। मुझे उसकी तड़प अच्छी लग रही थी। मैंने कुछ देर बाद अपना लौड़ा सपना की छेद पर सेट किया।
मैंने जोर से धक्का माऱा। सपना मेरे लौड़े का टोपा अपने चूत में घुसा ली। सपना मेरे लौड़े का टोपा अपनी चूत में लेते ही जोर जोर से “आआआअह्हह्हह…ई ईईईईईई …ओह्ह्ह्हह्ह….अई…अई..अई…अई…मम्मी….” की आवाज निकालने लगी। मैंने अपने लौड़े को फिर एक बार धक्का मारा। इस बार मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा सपना की चूत में घुस गया। सपना की चूत मेरा लंड घुसते ही दर्द से तड़पने लगी। मैंने अपने घुसे लौड़े से सपना की चूत को चोदने लगा। सपना भी मेरा लौड़ा गपा गप ख् रही थी। मैं अपना कमर उठा उठा कर सपना की चूत में अपना लौड़ा डाल रहा था। सपना की चूत को मैं खूब अच्छे से पूरा लंड डालकर चोद रहा था। सपना की चूत को मैंने अपने लौड़े के साथ अच्छे से खिला रहा था। दर्द के आराम मिलते ही सपना भी अपनी चूत कमर को उठा उठा कर चुदवाने लगी। सपना की चुदाई के साथ साथ बिस्तर पर पड़े फूल की पंखुड़ियों भी उछल रही थी। ये नजारा तो देखने में बहुत ही रोमांचक लग रहा था। इस नज़ारे को देख कर मेरे चोदने की स्पीड और बढ़ गई।
सपना जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसकी जोर जोर से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ..ऊँ…उनहूँ उनहूँ…” चिल्लाने की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। मै भी जोर जोर से चोद रहा था। मैंने सपना को उठाकर झुका दिया। सपना झुक कर कुतिया स्टाइल में आ गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल कर चोदने लगा। सपना की दोनों चूंचियां हवा में लहरा रही थी। मैंने सपना की कमर की कस कर पकड़ कर जल्दी जल्दी अपना लौड़ा जड़ तक पेलने लगा। मेरा जड़ तक लौड़ा सपना की चूत में घुस रहा था। सपना की चूत का भरता बन गया। सपना की चूत ने पानी छोड़ दिया। सपना की चूत के पानी में मेरा लौड़ा छप छप करके चोद रहा था। मैंने अपना लौड़ा सपना की चूत से निकाल कर। अपना मुँह सपना की चूत में लगा दिया। सपना की चूत का सारा रस चाट लिया। मैंने अब अपना भीगा लंड सपना को चुसाया। सपना की गांड़ में अपना लंड डालने लगा। सपना की गांड़ बहुत ही टाइट थी।
सपना ने पास में ही क्रीम रखी हुई थी। मैंने क्रीम को अपने लौड़े पर लगा लिया। क्रीम के लगते ही मेरा लौड़ा सपना की चूत में घुस गया। उसकी गाँड़ फट गई। वो जोर जोर से “आऊ…आऊ…हमम मम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की आवाज निकाल कर गांड़ चुदवाने लगी। मैंने अपना लौड़ा निकाल निकाल कर अंदर डाल रहा था। मै अपना लौड़ा जोर जोर से सपना की गांड़ में डाल कर के चोदने लगा। सपना की गांड़ का भी बुरा हाल हो गया। सपना की गांड़ का हलुआ बन गया। मै भी अब झड़ने वाला हो गया। सपना की गांड़ की ढंग से चुदाई करके उसकी गांड़ फाड़ डाली। मैंने अपना सारा माल सपना के मुँह पर झड़ दिया। सपना की मुँह पर गिरा सारा माल सपना अपने चूत पर लगाकर मसाज करने लगी। सपना मेरी इस तरह की चुदाई से खुश थी। हम दोनों नंगे ही लेटे रहे कुछ देर। मेरा टाइम ख़त्म हुआ। मैं रूम से बाहर निकल आया। उससे पहले ही रमन बाहर बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। मैं जब भी मौक़ा पाता था। सपना को चोदने कोठे पर आता जाता रहता था। सपना को अब मै अपने घर पर ही कभी कभी फ्री में पूरी रात चोदता हूँ। कहानी आपको कैसे लगी
मेरा नाम रिहान हैं। मेरी उम्र 27 साल की है। मेरा कद 6 फ़ीट है। मै देखने में कुछ खाश अच्छा नहीं लगता हूँ। लेकिन मैं एक जबरदस्त पर्सनालिटी का मालिक हूँ। मैं जब भी किसी बड़ी चुच्चे वाली लड़की को देखता हूँ। मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। मुझे लड़कियों की चूत चाटना बहुत अच्छा लगता है। मैंने अब तक कई लड़कियों की चूत चाट कर अपना लौड़ा चुसवाया है। मुझे अपना लौड़ा चुसवाने में भी बहुत मजा आता है। मेरे लौड़े की कई लड़किया दीवानी है। इसी लौड़े से मैंने अब तक कई लड़कियों की सीख तोड़ी है। इसी लंड की एक रंडी दीवानी हो गई। जो पहले पैसे लेकर चुदाती थी। लेकिन अब अपनी चूत मेरे लौड़े के लिए फ्री कर दिया। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों मैं एक मीडियम परिवार की फैमिली से हूँ। मेरे पापा एक जनरल स्टोर चलाते है। मेरे घर के सारे लोग अपना अपना बिज़नस संभालते है। मैं अकेला ही सबसे छोटा हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मेरे मम्मी पापा और दो बड़े भाई भी हैं। मेरे सारे बड़े भाई बाहर कमा रहे है। मै अभी तक तैयारी में जुटा था। लेकिन कहीं भी सेलेक्शन नही हो पाया। मै भी कब तक हर कर घर वापस आ गया। मैं भी अब अपने भाइयों के साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ। मेरे भाई हमेशा ही मुझे अपने पास आकर काम करने को कहते थे। लेकिन मुझे वहाँ मुझे पढ़ाई के साथ साथ चुदाई का भी आनंद मिलता था। इसलिए मै वहाँ से नहीं आना चाहता था।
लेकिन बड़े भैया ने जिद करके मुझे बुला लिया। मेरा मन घर पर नहीं लग रहा था। मुझे यहां चोदने को कोई मिलता हो नहीं था। कई दिनों तक मुठ मार मार कर काम चला रहा था। मैंने आखिर कर चूत की खोज करनी शुरू कर दी। एक दोस्त मिला मुझे जों की बचपन से जानता था मुझे। उससे मैंने सारी बात बताई। उसका नाम रमन था।
मैं-“यार रमन मन नहीं लगता यहाँ। कोई चोदने के लिए मिलता ही नहीं यहां”
रमन-“साला पैसा खर्च कर सब कुछ मिलता है”
मै-“पैसा खर्च करने पर चूत मिले। तो मैं कितना भी पैसा क्यों न खर्च हो कर दूंगा”
रमन-” चलो फिर आज शाम को पास के कोठे पर। दिखाता हूँ तुझे एक से बढ़कर एक माल”। जिसे देखते ही लंड खड़ा हो जाये”
शाम को मैं और रमन अपने घर से कोठे पर गए। मैंने पहली बार कोठे में प्रवेश किया।
रमन भी मेरे साथ था। रमन कह रहा था। भाई पहली बार मैं भी यहाँ आया हूँ। मैंने अंदर देखा तो देखता हो रह गया। एक से बढ़कर एक जबरदस्त माल की लाइन लगी हुई थी। किसको चोदूं समझ में ही नहीं आ रहा था। उनकी एक लीडर सामने ही बैठी थी। जो सारे लाडकियों को चोदने का रेट बता रही थी। मैंने सबसे टॉप क्लास की माल की तरफ गया। उसका दाम 3 हजार रुपया था। रमन ने भी एक माल उसी में से एक माल को निकाला। मैंने दिनों का पैसा दिया।
रंडियों की लीडर ने कहा-” सामने वाले कमरे में ले जाओ। संभाल कर चोदना। अभी ये दोनों ही नई है। बहुत ही नाजुक है”
मैंने हाँ करके सामने के कमरे में ले गया। वहाँ पहुच कर। मैंने दरवाजे में कुण्डी मारी।
मैंने उस रंडी से उसका नाम पूंछा। उसने अपना नाम सपना बताया। मैंने सपना का हाथ पकड़ा। सपना भी मेरे हाथ पकड़ कर बिस्तर की तरफ चल दी। मैंने बिस्तर पर ले जाकर सपना का हाथ छोड दिया। पूरा बिस्तर बिल्कुल सुहाग रात के दिन वाला कमरा लग रहा था।
मैंने पूंछा-” कमरे की इतनी सजावट है। लग रहा है सुहागरात वाला कमराहै”
सपना-“साहब यहां तो हर रोज सुहागरात मनाई जाती है। आज आप भी मनाने आये हैं। आप भी सुहागरात का मजा ले लीजिए”
मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी। कमरे की ऐसी सजावट नया नया बिस्तर उस पर बिखरे फूल। बिस्तर के चारो तरफ फूल लटक रहे थे। लग रहा था आज मैं सच में शादी की सुहाग रात मनाने जा रहा हूँ। पहली बार मैंने इतनी हॉट सेक्सी लड़की देखी थी। अब तो मेऱा मन सुहाग रात मनाने को मचल रहा था।
मैंने बिस्तर पर पड़े फूलों की खुसबूओं को सूंघ कर जोश में आ रहा था। सपना ने सारी और पतला वाला ब्लाउज पहना था। सपना के मम्मे बहुत ही अच्छे से दिख रहे थे। बस उसके निप्पल ही ढके हुए थे। मैंने अपना लौड़ा हाथ से दबाया। मेरा लौड़ा खड़ा होता ही चला जा रहा था। मैंने अब सपना की तरफ देखा। सपना ने मेरी तरफ देख कर कहा
सपना-” साहब जो भी करना है जल्दी करिए और भी ग्राहक आएंगे अभी”
मै-” करता हूँ ना। लेकिन ये बताओ क्या मिलता है तुम्हे ये सब करके। कही भीबतुम काम ढूंढ लो। वो करो इस तरह से क्या इज्जत मिलती है”
सपना-” जहां भीबकाम के लिए जाती थी। काम लार तो रख लेते थे। लेकिन सबका मकसद सिर्फ मुझे चोदना ही होता था। जब चुद के ही पैसा कमाना है। तो कम पैसा क्यूँ कमाऊं?”
मैंने कहा बात तो ठीक है। सपना सभी रंडियों जैसी खूब सजी धजी खड़ी थीं। मैंने सपना का हाथ पकड़ा। सपना को बिस्तर की तरफ खीच कर मैंने उसे अपने बाहों में ले लिया। सपना मेरी बाहों में लेट गई। मैंने सपना के चेहरे से बाल हटाया। सपना का बाल हटाकर उसके चेहरे को अच्छे से देखा। सपना बिल्कुल दूध की तरह गोरी गोरी दिख रही थी। देखने में उसका फेस कटिंग बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसकी आँखों में तो डूब ही जाने का मन करने लगा। उसकी काजल आँखों के किनारे निकल कर बाहर की तरफ आँखों को बहुत ही नुकीली बना रही थी। मैंने सपना की आँखों को देखकर उसकी नाक की तरफ देखा। उसकी नाक बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसके नाक की नथ उसकी नाक पर बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैंने अपना होठ उसकी होंठ पर देखते ही रख दिया। उसकी नाजुक होंठो को छूते ही मेरा लंड पैंट से बाहर आने को तड़पने लगा। मैंने आने होंठ को सपना के होंठ से सटा कर चूसने लगा।
उसकी होंठो का रस बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसकी होंठ को चूस चूस कर मैं रस पीने लगा। उसकी होंठो को पीते ही उसकी साँसे तेज होने लगी। वो सूं..सूं…. सूं… की आवाज अपनी मुँह से निकालने लगी। मैंने उसकी आवाज को सुना। उसकी आवाज सुनकर लगने लगा। की वो गरम होने लगी है। मैंने खूब होंठ चुसाई की उसकी। सपना भी मेरा होंठ चुसाई में पूरा साथ दे रही थी। मैने उसकी होंठो को चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। सपना को भी होंठ चुसाई में भरपूर आंनद मिल रहा था। मैंने सपना की ब्लाउज में हाथ डाल कर उसके मम्मो को निकाल दिया। मैंने अपना हाथ सपना की ब्लाउज में उसकी चूंचियों को दबाने में लगा रखा था। मैंने अपने दोनों हाथों से सपना की चूंचियों क़्क़ दबा दबा कर उसका भरता लगा रहा था। सपना की चूंचियो को दबाते ही सपना गरम होकर ऐंठने लगती थी। मैंने सपना की ब्लाउज की हुक खोली। सपना की चमकीले रंग की ब्लाउज बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मैंने ब्लाउज निकालते ही सपना की चूंचियो के दर्शन मुझे उसकी ब्रा में हो गए।
सपना की ब्रा के दर्शन ब्लाउज में करते ही मैंने सपना की ब्रा को उतार दिया। सपना की ब्रा को निकालते ही उसके गोरे भूरे मम्मो के दर्शन ही गए। मैंने उसके गोरे भूरे मम्मो के दर्शन करके। अपना मुँह उसके निप्पल पर लगा दिया। उसके निप्पल को अपने मुँह में रख कर मैं चूसने लगा। निप्पल और उसके मम्मे बहुत ही सॉफ्ट थे। मैं अपने मुँह में उसके निप्पल को रखकर रुई की तरह दबा दबा कर पी रहा था। मैंने उसकी चूंचियो को दबा दबा कर काट काट कर पीने लगा। सपना की चूंचियों को काटते ही सपना अपने मुँह “….अई…अई….अई….अई …. उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह…” की आवाज निकालने लगती। मुझे सपना की चूंचियो को पीने में बहुत मजा आ रहा था। सपना की साड़ी भी मैंने उतार दी।
अपना अब सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने लेटी थी। सपना ने नीले रंग पेटीकोट पहना था। सपना बिस्तर पर तड़प रही थी चुदवाने को। मैने भी अपना लौड़ा निकाल लिया। चैन के बाहर मेरा लौड़ा निकला हुआ था। सपना अपनी आँख बंद करके लेटी थी। मैंने उसके पेटिकोट को ऊपर उठाया। उसकी पेटिकोट को ऊपर उठा कर मैंने उसकी पैंटी सहित उसकी चूत के दर्शन किया। सपना की चूत के किनारे एक भी बाल नही था। मैंने सपना की पेटीकोट का नाड़ा खोला। सपना की पेटीकोट का नाड़ा खोलते ही मैंने उसकी पेटीकोट निकाल दी। पेटीकोट के निकलते ही सपना पैंटी में हो गई। सपना को पैंटी में देखकर मैंने उसकी चूत को देखने की तडप होने लगी। मैंने सपना की चूत को देखने के लिए। मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी। सपना की पैंटी को निकाल कर मैंने दूर फेंका। मैंने भी अपने सारे कपडे निकाल दिए। हम दोनों ही अब नंगे ही थे।
सपना मेरे बड़े मोटे काटे लंड को देख रही थी। मैंने सपना की दोनों टांगो क़्क़ फैलाकर उसकी चूत के दर्शन किया। सपना की गोरी चूत को देखकर मेरा मन मचलने लगा। सपना की चूत को मैंने अपने मुँह में रख लिया। सपना की चूत जैसे ही मैंने अपने मुँह में भरी। सपना के मुँह से “आई… .आई…आई….अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की चीख निकलने लगी। मैंने सपना की चूत को चाट चाट कर चूसना शुरू किया। सपना की चूत को चाटने चूसने में बहुत मजा आ रहा था। सपना की चूत के दोनों टुकड़ो को मैं बारी बारी से काट काट कर चुसा रहा था। सपना भी मेरा सर अपनी चूत में दबाये हुए थी। मै उसकी चूत को अच्छे से पी रहा था। सपना की आँखे बंद थी। उसके मुँह से सिर्फ सिसकारियां निकल रही थी। मैंने सपना के चूत के दाने को काटना शुरू किया। सपना की चूत का दाना बहुत ही छोटा था। मैंने अपने दांतों से सपना के चूत के दाने को काट रहा था। दाने को काटते ही सपना “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज के साथ अपनी चूत चुसवाने में मस्त थी।
मैंने सपना की चूत में अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को चाट रहा था। मेरी जीभ लंबी होकर सपना की चूत की गहराइयों में जाकर उसकी चूत चाट रहा था। सपना की चूत ने पानी छोड़ दिया। सपना की चूत के पानी छोड़ते ही मैंने अपना जीभ लगाकर सारा माल चाट लिया। सारा माल चाटते ही मैंने अपना लौड़ा सपना कोड़े दिया। सपना मेरा लौड़ा चूसने लगीं। मेरे लौड़े को चूस चूस कर लंबा बड़ा और मोटा कर दिया। सपना मेरे लौड़े का सुपारा अपनी जीभ से आइसक्रीम की तरह चाट रही थी। मैंने अपना लौड़ा उसकी मुँह में पेल दिया। सपना मेरे लौड़े को बहुत ही अच्छे से चूस रही थी। मै अपना लौड़ा उसके गले तक पेल रहा था। कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से निकाल कर। सपना की टांगो को फैलाकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। सपना की चूत पर रगड़ते ही सपना गरम होकर तड़पने लगी। मैंने अपना लौड़ा सपना की चूत की नालियों में नीचे ऊपर कर रहा था। सपना मेरे लौड़े को अंदर लेने को तड़पने लगी। मुझे उसकी तड़प अच्छी लग रही थी। मैंने कुछ देर बाद अपना लौड़ा सपना की छेद पर सेट किया।
मैंने जोर से धक्का माऱा। सपना मेरे लौड़े का टोपा अपने चूत में घुसा ली। सपना मेरे लौड़े का टोपा अपनी चूत में लेते ही जोर जोर से “आआआअह्हह्हह…ई ईईईईईई …ओह्ह्ह्हह्ह….अई…अई..अई…अई…मम्मी….” की आवाज निकालने लगी। मैंने अपने लौड़े को फिर एक बार धक्का मारा। इस बार मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा सपना की चूत में घुस गया। सपना की चूत मेरा लंड घुसते ही दर्द से तड़पने लगी। मैंने अपने घुसे लौड़े से सपना की चूत को चोदने लगा। सपना भी मेरा लौड़ा गपा गप ख् रही थी। मैं अपना कमर उठा उठा कर सपना की चूत में अपना लौड़ा डाल रहा था। सपना की चूत को मैं खूब अच्छे से पूरा लंड डालकर चोद रहा था। सपना की चूत को मैंने अपने लौड़े के साथ अच्छे से खिला रहा था। दर्द के आराम मिलते ही सपना भी अपनी चूत कमर को उठा उठा कर चुदवाने लगी। सपना की चुदाई के साथ साथ बिस्तर पर पड़े फूल की पंखुड़ियों भी उछल रही थी। ये नजारा तो देखने में बहुत ही रोमांचक लग रहा था। इस नज़ारे को देख कर मेरे चोदने की स्पीड और बढ़ गई।
सपना जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसकी जोर जोर से“….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ..ऊँ…उनहूँ उनहूँ…” चिल्लाने की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। मै भी जोर जोर से चोद रहा था। मैंने सपना को उठाकर झुका दिया। सपना झुक कर कुतिया स्टाइल में आ गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल कर चोदने लगा। सपना की दोनों चूंचियां हवा में लहरा रही थी। मैंने सपना की कमर की कस कर पकड़ कर जल्दी जल्दी अपना लौड़ा जड़ तक पेलने लगा। मेरा जड़ तक लौड़ा सपना की चूत में घुस रहा था। सपना की चूत का भरता बन गया। सपना की चूत ने पानी छोड़ दिया। सपना की चूत के पानी में मेरा लौड़ा छप छप करके चोद रहा था। मैंने अपना लौड़ा सपना की चूत से निकाल कर। अपना मुँह सपना की चूत में लगा दिया। सपना की चूत का सारा रस चाट लिया। मैंने अब अपना भीगा लंड सपना को चुसाया। सपना की गांड़ में अपना लंड डालने लगा। सपना की गांड़ बहुत ही टाइट थी।
सपना ने पास में ही क्रीम रखी हुई थी। मैंने क्रीम को अपने लौड़े पर लगा लिया। क्रीम के लगते ही मेरा लौड़ा सपना की चूत में घुस गया। उसकी गाँड़ फट गई। वो जोर जोर से “आऊ…आऊ…हमम मम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की आवाज निकाल कर गांड़ चुदवाने लगी। मैंने अपना लौड़ा निकाल निकाल कर अंदर डाल रहा था। मै अपना लौड़ा जोर जोर से सपना की गांड़ में डाल कर के चोदने लगा। सपना की गांड़ का भी बुरा हाल हो गया। सपना की गांड़ का हलुआ बन गया। मै भी अब झड़ने वाला हो गया। सपना की गांड़ की ढंग से चुदाई करके उसकी गांड़ फाड़ डाली। मैंने अपना सारा माल सपना के मुँह पर झड़ दिया। सपना की मुँह पर गिरा सारा माल सपना अपने चूत पर लगाकर मसाज करने लगी। सपना मेरी इस तरह की चुदाई से खुश थी। हम दोनों नंगे ही लेटे रहे कुछ देर। मेरा टाइम ख़त्म हुआ। मैं रूम से बाहर निकल आया। उससे पहले ही रमन बाहर बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। मैं जब भी मौक़ा पाता था। सपना को चोदने कोठे पर आता जाता रहता था। सपना को अब मै अपने घर पर ही कभी कभी फ्री में पूरी रात चोदता हूँ। कहानी आपको कैसे लगी